झांसी मेयरः क्या प्रदीप जैन विकास की नयी परिभाषा लिखेंगे?

झांसीः नगर का प्रथम नागरिक यानि महापौर। यूपी के निकाय चुनाव मे  महापौर पद वाले नगर निगमों मे  झांसी का नाम भी शामिल है। इस बार झांसी पूरे प्रदेश मे  सुर्खियां बटोर रहा है। जाहिर है कि यहां पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य के मैदान मे  आने की चर्चा ने सभी को चौंका दिया है। प्रस्ताव पारित है, बस औपचारिक एलान होना है कि प्रदीप ही कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी है। यही से सवाल उठता है कि क्या प्रदीप जैन आदित्य नगर के विकास को लेकर नयी परिभाषा तैयार करने के मूड मे  हैं!झांसी को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिल गया है। खूबसूरत और खुशहाल झांसी की परिकल्पना मे  समाया स्मार्ट शहर फिलहाल राजनैतिक नजरदांजी के चलते बदहाल स्थिति मे हैं। प्रदीप जैन के मेयर प्रत्याशी बनने से उठे सवालो की तलाश मे मार्केटसंवाद ने विकास में उनकी भूमिका को लेकर कुछ तथ्य जुटाये।यदि गौर करे, तो केन्द्रीय मंत्री पद पर रहते हुये प्रदीप जैन आदित्य ने मेडिकल कॉलिज को एम्स जैसी सुविधाएं, पैरामेडिकल का विस्तार, केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, इंटरसिटी का ठहराव, रेल कोच फैक्टी से लेकर अन्य बड़ी योजनाओ  को धरातल पर उतारा।यह मुददे लोकसभा चुनाव मे  कारगर साबित नहीं हो सके, लेकिन लोगो  के जहन मे अब प्रदीप जैन के उन कार्यों की तस्वीर उभरने लगी है। यदि प्रदीप जैन की बात करे, तो वो विकास की परिभाषा मे  अपनी गणित कुछ इस तरह बताते हैं।

प्रदीप जैन का कहना है कि नगर निगम की करोड़ांे रूपयो  की नजूल की भूमि कब्जे मे  हैं। उसे किसी ने छुड़ाने का प्रयास नहीं किया। पार्क ऐसे नहीं है, जिनहे घूमने लायक माना जा सके।पिछले कई दशको  से नगर के विकास को लेकर रोड मैप तैयार नहीं किया गया। प्रदीप सवाल दागते है कि क्या आज हम महानगर मे  रहने के बाद भी किसी प्रकार की सुविधा वाले बन पाये हैं?

मसलन, नगर मे  एक भी अंडरग्राउंड पार्किंग स्थल नहीं है?गृहकर को लेकर आम आदमी परेशान हैं। झांसी का स्वरूप बनाने वाला नगर निगम अपने लिये ही कोई प्लान तैयार नहीं कर पाया।प्रदीप के विकास के विजन से इतर दूसरे प्रत्याशी खामोश और दल की दावेदारी मे  उलझे हैं।

 

 

 

वैसे तो, झांसी की हर सीट पर बीजेपी जीत का दावा करती है। परंपरागत सीट मानकर चलने वाली बीजेपी को इस बार बड़े चेहरो  ने ऐसी चुनौती दी कि प्रत्याशी के चयन मे  भाजपाईयो  को सर्दी मे  भी पसीने छूट रहे हैं। लखनउ मे  प्रत्याशी चुनने को लेकर मंथन चल रहा है। सवाल यह उठ रहा कि क्या भाजपा के पास ऐसा चेहरा नहीं है जो इन चेहरो  का मुकाबला करने मे  समर्थ हो।

 

वैसे विकास के मामले मे  भारतीय प्रजाशक्ति अपना अलग ही दावा पेश कर रही है। बीपीएसपी की माने तो वो अकेली ऐसी पार्टी है, जो शुरू से ही नगर के विकास का मुददा उठा रही है।अलबत्ता पार्टी का चेहरा बड़ा नहीं होने से दिक्कते तो तमाम हैं। इधर, निर्दलीय प्रत्याशियो  मे  राम कुमार अंकशास्त्री अपनी जबरदस्त स्कीम के साथ मैदान मे  हैं। वो विकास के साथ रोजगार का दावा कर रहे हैं।

 

करीब पांच हजार युवाओ  को नौकरी देने का वादा। अभी तक जो स्थिति निर्मित हो रही हैं, उसमें चर्चा केवल चेहरों पर जा टिकी है। यकीन मानिये यह चर्चा अंतिम दौर तक चलेगी।

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