झांसी: नगर निगम चुनाव मे मेयर पद के लिये मुकाबला ने पहली पायदान मे रोमांच पैदा कर दिया है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य के मैदान मे आने से नये समीकरण बनने के साथ तय है कि त्रिकोणीय स्थिति मे फैसला होगा?
झांसी नगर निगम चुनाव का कल बिगुल फुंकने के बाद राजनैतिक दलों ने अपने प्रत्याशियो पर दांव खेलना शुरू कर दिया। कल दो राजनैतिक दलों बसपा और कांग्रेस से सर्वसम्मति से मेयर पद के लिये डमडम और प्रदीप जैन आदित्य को मैदान मे उतार दिया। प्रदीप के मैदान मे आने की खबर के बाद चुनावी मोड रोमांच के पाले मे चला गया।
जनता के बीच चर्चा ने तर्कों को नये अंदाज मे गुनगुनाना शुरू कर दिया है। जानकार मान रहे है कि प्रदीप जैन आदित्य अपनी मर्जी से मैदान मे नहीं आये हैं। उपर स्तर पर के दिशा निर्देश और पार्टी को सत्ता की राह मे वापसी के लिये प्रदीप जैन आदित्य का चेहरा आगे किया गया है? मेयर पद के लिये डमडम और प्रदीप जैन के मैदान मे आने के बाद सवाल उठ रहा है कि यदि भाजपा प्रदीप सरावगी, संजीव ऋंगीऋषि, संतोष गुप्ता पर दांव लगाती है, तो यह चेहरे मुकाबले मे फिट साबित नहीं हो पाएंगे।
ऐसे मे एक चर्चा उभरी है कि इन दो हस्तियो को सीधा मुकाबला करने मे पूर्व मंत्री रवीन्द्र शुक्ल का कद ठीक रहेगा। रवीन्द्र शुक्ल यदि मैदान मे आते है, तो मुकाबला त्रिकोण मे फंसेगा, वर्ना सीधी फाइट होने हो सकती है? बरहाल, झंसी नगर निगम के चुनाव मे यह पहली बार होगा, जब राजनैतिक दलों के बड़े चेहरे मैदान मे आ रहे हों।
गुटबाजी सबसे बड़ी समस्या
ऐसा नहीं है कि बसपा, कांग्रेस, सपा और भाजपा के प्रत्याशियो को अपने घर मंे विरोध का सामना नहंी करना पड़े। कांग्रेस मे रघुराज शर्मा ने एलान कर दिया है कि वो प्रदीप जैन के विरोध मे विजय भारद्वाज को मैदान मे उतारेंगे। भाजपा मे तो अंतरद्वंद इतना जबरदस्त है कि आपस की लड़ाई ही पार्टी को फाइट से बाहर कर सकती है।बसपा में भले की उपरी तौर पर यह दिखाया जा रहा हो कि पार्टी पूरी शिददत से डमडम के पीछे खड़ी है, लेकिन डमडम को शहरी बसपा कतई पसंद नहीं करती। ऐसे मे डमडम शहरी बसपा का जबरदस्त विरोध झेलेंगे? यही हाल कमोवेश सपा का है।