झांसी-विधायक रवि शर्मा अकेले दम पर जीत नहीं दिला सकते?

झांसीः पिछले महापौर चुनाव मे  अकेले दम पर सीट पर जीत का परचम लहराने वाले विधायक रवि शर्मा को पार्टी इस बार विजेता लायक नहीं मान रही है। विषम परिस्थितियो  और जनता के बदलते मूड को संवारने की रणनीति मे  रवि शर्मा की केन्द्रीय भूमिका से इतर सामूहिक मंडल वाली हो गयी है। चुनौती से घिरी बीजेपी किसी तरह अपने गढ़ को बचाने की जुगत मे  जुट गयी है।

परपंरागत सीट पर पिछली बार रवि शर्मा ने अकेले दम पर महापौर प्रत्याशी के रूप मे  उतारी गयी किरन महापौर को विजयश्री दिलाने मे  सफलता प्राप्त की थी। भाजपा के स्टार प्रचारक और अच्छे विधायको मे  गिने जाने वाले रवि शर्मा को भी पार्टी ने बदलते परिवेश मे  पीछे कर दिया।

हालातो  का आंकलन इस बात से किया जा सकता है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केन्द्रीय मंत्री उमा भारती जैसे दिग्गज लोगो  को समझाने मैदान मे  उतर पड़े।

अब तो उप मुख्यमंत्री को दूसरी बार झांसी मे  आना पड़ गया। यानि पार्टी कहीं ना कही मान कर चल रही है कि जातीय समीकरण भी बिगड़ने की स्थिति मे  है।

रवि शर्मा को स्टार प्रचारक की भूमिका से अलग कर पार्टी ने उन्हंे सामूहिक नेतृत्व मे  डाल दिया। हालांकि विज्ञापन मे  उन्हे  केन्द्रीय मंत्री उमा भारती के बराबर स्थान दिया जा रहा है। यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि रवि का कद किसी से कम नहीं।

माना यह जा रहा है कि रवि का कद बढ़ाने और घटाने का फार्मूला कई बिन्दुओ  को साधने के लिये किया गया है।

रवि शर्मा को चुनाव मे  बेहतर मैनेजमंेट और जनता को अपने पाले मे  करने की रणनीति बनाने कला आती है, लेकिन वर्तमान परिस्थितियो मे उन्हे  दूसरे काम सौंप दिये गये।

नाक की लड़ाई मे  उलझ गयी बीजेपी को रवि के साथ प्रदेश स्तर के नेताओ  को लगाने से साफ है कि स्थिति ठीक नहीं है। यानि पार्टी मान रही है कि विषम परिस्थितियो मे  यदि समय पर डैमेज को संभाला नहीं गया, तो स्थिति हाथ से निकल सकती है। यही कारण है कि पार्टी ने अकेले रवि पर भरोसा ना कर सामूहिक पहल पर जोर दिया है।

अब देखना यह होगा कि रवि को सामूहिक पहल मे  किये जाने से क्या फर्क पड़ता है?

 

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