दोनों पुत्रों की मौत से हुआ अवसाद, किसी ने नहीं दिया साथ, फिर मदद को आगे आया एक हाथ

झाँसी। इस संसार में हर माता-पिता के लिए सबसे कष्टदायी बात होती है उनके रहते हुए उनके वंशजों की मृत्यु होना। एक मां-बाप के लिए अपने बेटे, बेटी या वंशजों की अर्थी देखने से बड़ा कोई दुख नहीं हो सकता लेकिन जिस माँ के दो पुत्रों का देहावसान हो गया हो उसका जीवन कितना कष्टदाई होगा। इस पर मां के पास बच्चों की तेरहवीं करने का भी पैसा न हो तो उसका जीवन कितना विसाद पूर्ण व्यतीत हो रहा होगा। बिजौली की रहने वाली एक बुजुर्ग महिला जिनके पुत्र मजदूरी कर घर का खर्च चलाते थे। एक पुत्र कोरोना काल में तो दूसरा पुत्र कुछ समय पूर्व परलोकवासी हो गया। इसके बाद घर चलाने की पूरी जिम्मेदारी बूढी मां पर आ गई लेकिन घर की माली हालत इतनी बुरी कि मां अपने पुत्रों की तेरहवीं भी नहीं करा पा रही थी। सनातन धर्म में ऐसा माना जाता है कि जब तक किसी पुरुष की तेरहवीं और महिला की ग्यारहवीं संपन्न नहीं होती तब तक वह प्रेत योनि में भटकता रहता है। जो उसके परिजनों के लिए बहुत ही नैराश्य की बात है इसीलिए बूढी मां ने मदद के लिए उसने कई जनप्रतिनिधियों और समाजसेवियों का दरवाजा खटखटाया लेकिन हर जगह से निराशा ही मिली। महिला की निराशा को देखकर पड़ोस में रहने वाले दिनेश नामक व्यक्ति महिला को लेकर संघर्ष सेवा समिति कार्यालय पहुंचे जहां महिला ने डॉक्टर संदीप को अपनी पूरी व्यथा सुनाई। महिला की व्यथा सुनकर डॉ० संदीप ने संघर्ष सेवा समिति के सहयोगियों के माध्यम से तेरहवीं भोज कराने हेतु महिला के लिए पर्याप्त आर्थिक सहयोग किया एवं भविष्य में भी सहायता का आश्वासन दिया। बूढ़ी माँ रोते हुए डॉ० संदीप को ढेरों आशीर्वाद दिए एवं उनकी व संघर्ष सेवा समिति के उज्जवल भविष्य की शुभकामनायें भी दीं। इस अवसर पर डॉक्टर संदीप ने कहा आधुनिकता से भरे इस युग में हमारा समाज मानव मूल्यों में पिछड़ता जा रहा है आज जो प्रकरण सामने आया है यह बहुत ही चिंता का विषय है। एक मां अपने बच्चों की तेरहवीं करने के लिए दर-दर भटक रही है और हमारे गणमान्य लोग भी उसकी सहायता नहीं कर पाये, यह बड़ी ही निराशा वाली बात है। मेरा मानना है आम आदमी भी अपनी क्षमता के अनुसार किसी का सहयोग कर सकता है यदि आप किसी भी प्रकार से किसी का सहयोग करते हैं तो ईश्वर अवश्य आपको कुछ ना कुछ लाभ देगा। मैं यह आश्वासन दिलाता हूं जब भी मेरी जानकारी में ऐसा कोई प्रकरण आयेगा मैं मदद के लिए सदैव तत्पर रहूँगा। इस अवसर पर स्वामी राजपूत, विजय प्रताप सिंह, मनोज खरे, अच्छे लाल, भाई साहब लोधी, संजीव हंसारी, अमित नेता, पंकज पहारिया, मनीष लेखपाल, राहुल सेठ, सोनू खइया, संजीव, बंटी पंजाबी, एडवोकेट यशवंत नगरा, कुंज बिहारी श्रीवास, बसंत गुप्ता, संदीप नामदेव, आशीष विश्वकर्मा, अरुण पांचाल, दीक्षा साहू, सुशांत गेड़ा, राकेश अहिरवार, राजू सेन आदि उपस्थित रहे।

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