नवजात शिशुओं के स्वस्थ जीवन के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करना है मुख्य उद्देश्य सीएमओ

*15 नवंबर से 21 नवंबर 2025 के मध्य होगा नवजात शिशु देखभाल सप्ताह का आयोजन*

*नवजात शिशुओं के स्वस्थ जीवन के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करना है मुख्य उद्देश्य — सीएमओ*

*”नवजात की सुरक्षा-प्रत्येक स्पर्श, प्रत्येक समय, प्रत्येक शिशु” थीम पर आधारित है सप्ताह — डॉ एन के जैन*

*अभिभावकों को जागरुक एवं स्वास्थ्यकर्मियों का किया जाएगा क्षमतावर्धन*

*झांसी दिनांक 14 नवंबर 2025*

प्रत्येक नवजात शिशु के जीवन की बेहतर शुरुआत हेतु स्वास्थ्य इकाइयों, सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं एवं परिवार की अहम भूमिका होती है। इसलिए समुदाय एवं स्वास्थ्य इकाई का बेहतर सामंजस्य बनाने तथा स्वास्थ्यकार्यकर्ताओं को नवजात शिशु देखभाल हेतु सक्षम किए जाने के उद्देश्य से 15 नवंबर 2025 से 21 नवंबर 2025 के मध्य *”नवजात शिशु देखभाल सप्ताह”* का आयोजन स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया जा रहा है, यह जानकारी देते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी झांसी डॉ सुधाकर पांडेय ने बताया कि नवजात शिशुओं के स्वस्थ जीवन के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। चिकित्सा इकाई के साथ-साथ समुदाय में प्रत्येक नवजात शिशु के स्वास्थ्य की सुरक्षा में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, चिकित्साकर्मियों और परिवारों की भूमिका महत्वपूर्ण है। नवजात शिशु का जन्मकाल बच्चों के जीवन का सबसे संवेदनशील समय होता है, जहां प्रत्येक वर्ष संक्रमण, दवा की त्रुटियों एवं असुरक्षित देखभाल प्रथाओं जैसे रोके जा सकने वाले कारणों से मृत्यु एवं रुग्णता की कई घटनाएं सामने आती हैं। अभिभावकों के सहयोग से स्वास्थ्यकर्मियों एवं अस्पतालों के भीतर की व्यवस्थाओं के माध्यम से प्रत्येक पहलू की सुरक्षा में ध्यान केंद्रित करके नवजात शिशु सुरक्षा की प्रक्रिया सुरक्षित बनाई जा सकती है। नवजात शिशु देखभाल सप्ताह के मध्य चिल्ड्रन हॉस्पिटल, प्राइवेट नर्सिंग होम्स, क्लिनिक का भी सक्रिय सहयोग प्राप्त किया जाएगा।

कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ एन के जैन अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरसीएच ने बताया कि नवजात शिशु देखभाल सप्ताह के अंतर्गत इस वर्ष की थीम- *”नवजात की सुरक्षा- प्रत्येक स्पर्श, प्रत्येक समय, प्रत्येक शिशु”* निर्धारित की गई है, जिसमें चिकित्सा इकाई स्तर पर स्वास्थ्य कर्मियों की क्षमतावर्धन हेतु दवा सुरक्षा, सुरक्षित बाल चिकित्सा खुराक, दवा त्रुटि रिपोर्टिंग, दवाइयों के तर्कसंगत उपयोग, सभी भर्ती नवजात शिशुओं के लिए दवा मिलान, दवाइयों का चयन, खुराक एवं आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, नैदानिक सुरक्षा, संक्रमण की रोकथाम इत्यादि विषयों पर स्वास्थ्य कर्मियों का क्षमतावर्धन किया जाएगा। जिससे स्वास्थ्य इकाई स्तर पर नवजातों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इसके साथ ही प्रसव कक्ष में कार्यरत स्वास्थ्य देखभालकर्मियों को स्वच्छ प्रसव पद्धति, मानक प्रोटोकॉल के अनुसार आवश्यक नवजात शिशु देखभाल और समय पर पुनर्जीवन, कम वजन वाले और जन्म से पहले जन्मे शिशुओं के लिए त्वचा से त्वचा के संपर्क और कंगारू मदर केयर पर प्रशिक्षित किया जाएगा। सामुदायिक स्तर पर नवजात शिशु के परिवारों को स्वच्छता के महत्व एवं स्व-दवा दुरुपयोग के खतरों के बारे में जानकारी दी जाएगी। सामुदायिक स्तर के स्वास्थ्य कार्यकर्ता आशा, एएनएम को राष्ट्रीय नवजात सप्ताह के दौरान समुदाय में सभी नवजात शिशुओं का फॉलोअप करना होगा तथा फॉलोअप किए गए नवजात शिशुओं की लाइन लिस्ट तैयार रखी जाएगी एवं ब्लॉकस्तरीय व जनपदस्तरीय अधिकारियों द्वारा कार्यक्रम की मॉनिटरिंग की जाएगी।

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*अभिभावकों को यह जानना आवश्यक है कि नवजात शिशु की आवश्यक देखभाल हेतु यह बातें ध्यान रखना होगीं –*

– प्रसव चिकित्सालय में ही कराया जाए और प्रसव के बाद 48 घंटे तक मां एवं शिशु चिकित्सालय में अवश्य रुकें।
– नवजात को तुरंत नहलाएं नहीं, शरीर पोंछकर नरम व साफ कपड़े पहनाएं।
– जन्म के 1 घंटे के भीतर मां का गाढ़ा पीला दूध पिलाना आरंभ कर दें और 6 महीने तक केवल स्तनपान ही कराएं।
– जन्म के बाद शिशु का नियमित और संपूर्ण टीकाकरण कराएं।
– नवजात की नाभि सूखी एवं साफ रखें, संक्रमण से बचाएं, मां एवं शिशु की व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखें।
– कम वजन एवं समय से पूर्व जन्मे शिशुओं का विशेष ध्यान रखें।
– शिशु की आवश्यकता के अनुसार दिन अथवा रात में बार-बार स्तनपान कराएं।
– कुपोषण और संक्रमण से बचाव के लिए 6 महीने तक केवल मां का दूध पिलाएं, शहद, घुट्टी, पानी इत्यादि बिल्कुल ना पिलाएं।

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