पैसेंजर भी 100 किलोमीटर की स्पीड दे चलेगी ! लोहे और स्टील से नहीं, एल्यूमीनियम से बनेंगे रेल के डिब्बे

नई दिल्ली 16 सितम्बरः लगातार हुये रेल हादसों और रफतार को लेकर हो रही किरकिरी ने केन्द्र सरकार को बड़ा कदम उठाने पर मजबूर कर दिया है। अब रेलवे जल्द ही एल्युमीनियम के कोच बनाने जा  रहा है। इसका मकसद स्पीड के साथ पैसों की बचत करना भी है। अगले चार साल मंे यह कोच बनकर तैयार हो जाएंगे।

अभी आप जिस कोच मे  सफर करते हैं, वो लोहा और स्टील से बना होता है। हालंाकि इसमे  मजबूती काफी होती है, लेकिन रफतार के समय यह सही काम नहीं कर पाते। रेलवे ने स्पीड के दौर मे  खुद को विश्वस्तरीय बनाने के लिये एल्यूमीनियम के कोच बनाने का फैसला किया है। यह कोच चैन्नै मंे बनेंगे। जानकारी के अनुसार 2750 करोड़ का यह प्रस्ताव चार साल मे  पूरा हो जाएगा।

सरकार का मानना है कि अब पैंसेजर सहित सभी एक्सप्रेस गाडि़यों  की स्पीड 100 किमी प्रति घंटा की जाए। इसके लिये रेलवे एल्यूमीनियम के कोच तैयार कर रहा है।

दरअसल, केंद्र सरकार मेल पैसेंजर और एक्‍सप्रेस ट्रेन की औसत स्‍पीड 65 किलोमीटर से बढ़ाकर 100 किलोमीटर प्रति घंटा करना चाहती है। जबकि इससे तेज चलने वाली गाड़ि‍यों की स्‍पीड बढ़ाना चाहती है। इसका दूसरा मकसद है कि एनर्जी एफिशिएंसी।

आईसीएफ के एक अधिकारी ने बताया कि अभी ट्रेन कोच स्‍टील के होते हैं, लेकिन एल्‍युमीनियम के कोच काफी हल्‍के होंगे, जिसकारण एनर्जी की काफी बचत होगी। जिससे रेलवे के ऑपरेटिंग कॉस्‍ट पर असर पड़ेगा।

 

छोटे रूट्स से होगी शुरुआत रेलवे के एक अधिकारी के मुताबिक, रेलवे चाहता है कि दिल्‍ली- अमृतसर, दिल्‍ली–जयपुर, दिल्‍ली-लखनऊ, बंगलुरु-चैन्‍नई जैसे कुछ छोटे रूट्स पर इस तरह की ट्रेन चलाई जाएं। इससे समय की बचत होगी और ट्रेनों के फेरे बढ़ जाएंगे। इससे रेलवे के रेवेन्‍यू में भी बढ़ोतरी होगी। वहीं, ट्रैक की मरम्‍मत का भी समय मिलेगा।आईसीएफ के अधिकारी ने कहा कि जो कंपनी टेंडर हासिल करेगी, वह सबसे पहले डिजाइन बनाएगी,

जिसके बाद ही यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि ट्रेन के वजन में कितनी कमी आएगी, लेकिन इतना अनुमान लगाया जा सकता है‍ कि कन्‍वेंशनल इंडियन कोच का वजन लगभग 51 टन है और नई ट्रेन का वजन 17 या 18 टन होगा। अभी स्‍पैन की टेल्‍गो ट्रेन का वजन 17 टन है। आईसीएफ की कोशिश रहेगी कि नई ट्रेन का वजन भी इसके आसपास रहे।…

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