बुंदेलखंड – सियासत और स्कूटर

सचिन चौधरी
झांसी। स्कूटर, एक जमाने में साईकिल के बाद पहली मशीनी सवारी। उच्च वर्ग की पहली शान वाला सफर। आज लगभग सभी कंपनियां पुराने मॉडल का स्कूटर बनाना ही बंद कर चुकी हैं। लेकिन इसी स्कूटर से बुंदेलखंड में राजनेताओं को सफलता मिल रही है। बीते आठ साल में स्कूटर की सवारी ने बुंदेलखंड के दो आम लोगों को बेहद खास बना दिया। पहला नाम प्रदीप जैन आदित्य का रहा। जिनके बारे में झांसी संसदीय क्षेत्र के गली मोहल्लों से लेकर दिल्ली तक ये मशहूर रहा कि ये झांसी के मानिक चौक की गलियों में आम आदमी की तरह घूमते हुए मिल जाते हैं। इसी सादगी की चर्चा राहुल गांधी तक पहुंची और यूपीए सरकार में इन्हें सांसद के साथ ही पहली बार में ही केंद्रीय मंत्री बनने का अवसर मिला।

अब एनडीए की सरकार में एक और स्कूटर पसंद वीरेंद्र खटीक को केंद्रीय मंत्री बनने का अवसर मिला है तो इसके पीछे उनकी सादगी को बड़ी वजह माना जा रहा है। वीरेंद्र जी सागर और अब टीकमगढ़ के सांसद रहते हुए इलाके की गलियों में स्कूटर की सवारी के लिए जाने जाते हैं। अब इसी स्कूटर ने उन्हें बड़ा मुकाम दिलाया है। याद रहे कि स्कूटर लकी है इसे भूलकर पहले कार में बैठकर फिर हवा में उड़ने की वह गल्ती न हो जो प्रदीप जैन ने की थी। एक ही झटके में जनता ने हवा से सीधा जमीन पर पटका। इसलिए हवा में न उड़ें। स्कूटर पर रहने से पांव जमीन पर रहते हैं। आपको शुभकामना। सभी युवा नेताओं को भी एक सलाह। पुराने मॉडल का एक स्कूटर खरीद लें भविष्य में काम आएगा

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