लखनउ 15 अप्रैलः यूपी सरकार के सामने एक और मुश्किल आ गयी है। उन्नाव रेप केस में विधायक कुलदीप सिंह को सीबीआई ने गिरफतार कर लिया है, जांच जारी है। अभी न्याय होना बाकी है। इस बीच बुन्देलखण्ड के बबीना विधानसभा के विधायक राजीव सिंह पारीछा का नाम अपराधिक प्रवृत्ति वाले पुलिस कर्मी के साथ जुड़ने से हड़कंप मच गया है। इस पुलिस वाले का विधायक के नाम से डील करने वाली बातो वाला आडियो वायरल हो गया है। पुलिस ने थाना प्रभारी को सस्पेन्ड कर दिया है। सवाल यह है कि आखिर पुलिस वाले ने विधायक का ही नाम क्यो लिया? उधरए विधायक ने अपने बचाव मे अजीब बयान दिया है। राजीव का कहना है कि उसने अपने रेट बढ़ाने के लिये मेरे नाम का प्रयोग किया।
दरअसल, पूरा मामला इस प्रकार है। बीते रोज पूर्व ब्लाक प्रमुख लेखराज पुलिस से हुयी मुठभेड के बाद भाग निकले। इसमे थाना प्रभारी सुनील चुटहिल हुये।
घटना मे तब नाटकीय मोड आया जब एक आडियो वायरल हुआ। इसमे थाना प्रभारी और लेखराज के बीच बातचीत हो रही है। आडियो मे वायरल हुए इस ऑडियो में लेखराज बार-बार कोतवाल से मदद मांग रहा है, मगर कोतवाल उसे भाजपा जिलाध्यक्ष संजय दुबे व बबीना विधायक राजीव सिंह पारीछा का नाम लेकर बता रहे हैं कि इन नेताओं को समझ लो। नहीं तो कुछ भी संभव है। वह लेखराज को एनकाउंटर करने की अप्रत्यक्ष रूप से धमकी भी दे रहे हैं। लेखराज बार-बार खुद के लिए मदद मांग रहा है और सुनीत कुमार सिंह उसे हर बार सिस्टम में आने के लिए कह रहे हैं। वह लेखराज को समझा रहे हैं कि सपा सरकार में भी आप जेल गए थे, पप्पू सेठ के समय। इसलिए सिस्टम को समझा करो और समझने की कोशिश करो। लेकिन लेखराज उनके आगे सरेंडर करने को तैयार नहीं हो रहा है।
यानि राजीव सिंह पारीछा का नाम लेकर मैनेज करने वाला सिस्टम किसी की समझ मे नहीं आया। वैसे लोगो के दिमाग मे यह जरूर सवाल उठ रहे है कि बीते कुछ दिनो मे राजीव सिंह पारीछा पूरे क्षेत्र मे अपना दबदबा बनाने के लिये एक्टिव हुये हैं, उससे लोग कई मायने निकाल रहे हैं।
कुछ लोग उनकी इस प्रक्रिया को लोकसभा चुनाव से जोड़ रहे, तो कुछ लोग कह रहे कि विधायक बनने के तत्काल बाद जिस तरह से राजीव सिंह ने अपने भाई के नाम फर्म बनाकर बालू का ठेका लिया, वो आश्चर्यजक है। यानि सत्ता मे आते ही धन की बरसा करना पहला काम रहा।
कहा जाता है कि राजीव सिंह पारीछा पार्टी के हर आयोजन मे जमकर पैसा खर्च करते हैं। उन्हे कार्यक्रम आयोजक भी कहा जाता है। पार्टी का कोई भी पदाधिकारी झंसी आये, राजीव सिंह पारीछा के स्वागत होर्डिग्स पूरी झांसी मे पटे नजर आते हैं।
सवाल यह नहीं है कि स्वागत करने मे आगे क्यो रहते हैं? सवाल यह है कि क्या राजीव सिंह पारीछा अपराधिक प्रवृत्ति के लोगो के साथ परोक्ष या अपरोक्ष रूप से जुड़े हैं? वैसे अभी राजीव पर सीधे आरोप नहीं लगे हैं। आडियो मे उनका नाम लेकर मैनेज किये जाने की चर्चा है। यहां लोग यह सवाल उठा रहे कि आखिर भाजपा के दूसरे विधायक भी है, उन्हे क्यो आज तक किसी भी अपराधी ने अपने लिये ढाल नहीं बनाया? यदि पुलिस वाले ने जानबूझकर राजीव का नाम लिया,तो किसके इशारे पर या फिर अपनी मर्जी से क्यों? इसके अलावा लेखराज के सपा नेताओ से भी संबंध रहे। तब ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया। यानि यह मामला ऐसे मोड पर है, जहां साजिश और हकीकत मे बहुत पतली लकीर है। यदि इस मामले की सही जांच हो, तो हकीकत सामने आ सकती है। आरोप मे आने के बाद राजीव सिंह की विश्वसनीयता भी सवालो के घेरे मे है।
राजीव के करीबी और चुनाव के समय प्रबंधन का काम देखने वाले संजीव ऋंगीऋिषि का कहना है कि पुलिस वाला केवल राजीव का नाम लेकर मैनेज करने की बात कह रहा है। इस मामले मे राजीव का कोई लेना देना नहीं। जब सवाल किया गया कि पुलिस वाला राजीव का नाम ही क्यो ले रहा था, तो उनके पास कोई जवाब नहीं था। जानकार मान रहे हैं कि यह मामला इतना आसान नहीं है, जितना दर्शाया जा रहा। जांच मे कई बाते सामने आ सकती हैं।