नई दिल्ली 26 सितम्बरः क्या मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव मे समझौता हो सकता है? यह सवाल मुलायम के छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव की राजनैतिक चालो के बीच से निकल कर आ रहा है। माना जा रहा है कि आज दोपहर तक दोनो के रास्ते अलग हो सकते हैं, लेकिन दोनो खेमो के लिये शिवपाल सिंह यादव एक सस्पंेस की तरह बन रहेगे ।
राजनीति मे समाजवादी पार्टी की बुनियाद से कददावर नेता के रूप मे स्थापित हुये मुलायम सिंह यादव इन दिनो परिवार मे अपनी हैसियत की जंग लड़ रहे हैं। उन्हंे पार्टी का अध्यक्ष बनाये जाने की मांग को लेकर शिवपाल सिंह यादव अखिलेश को सीधे चुनौती देते हुये अपना अगला कदम उठाने की दिशा मे तैयार हैं।
शिवपाल यादव को संगठन का मास्टर माना जाता है। उसी प्रकार उन्हंे सस्पंेस का मास्टर भी कहा जाता है। उनकी चाल का अंतिम समय तक पता करना मुश्किल होता है। थोड़ी सी कड़क छवि के कारण वो सपा मे सर्वमान्य नेता बनने से रह गये, वर्ना उन्हंे प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने के लिये अखिलेश को पसीना आ जाता।
बरहाल, अभी यह तय नहीं हुआ है कि मुलायम सिंह यादव अपनी नयी पार्टी बनाएंगे या फिर कोई दूसरे दल के जरिये राजनीति की नयी पारी खेलंेगे। शिवपाल सिंह यादव उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।
शिवपाल सिंह यादव की जिद है कि मुलायम सिंह यादव ही पार्टी के अध्यक्ष रहंे, लेकिन अखिलेश ने पूरी पार्टी अपने कब्जे मे ले ली है। यहां तक कि मुलायम सिंह के करीबी रहे नरेश अग्रवाल, आजम खां, नंदा आदि नेता अखिलेश खेमे मे पहुंच गये हैं। इससे एक सवाल उठ रहा है कि आखिर शिवपाल नयी पार्टी बनाते भी है, तो किसके सहारे संगठन खड़ा करंेगे।
इस मामले मे राजनैतिक जानकार मान रहे है कि मुलायम सिंह यादव का कद अभी इतना बड़ा है कि यदि वो नयी पार्टी बनाने का ऐलान करते हैं, तो उन्हे राह बनाने मे ज्यादा मुश्किल नहीं होगी। यहां पार्टी से जुड़े लोग भी मान रहे हैं कि मुलायम सिंह यादव की नीतियां आम आदमी के मन को भाती हैं। ऐसे मे मुलायम को राजनीति से रिटायर मान लेना अखिलेश खेमे की बड़ी भूल साबित हो सकती है।