मोदी सरकार में मप्र की हिस्सेदारी घटी, बुंदेलखंड की बढ़ी

संदीप पौराणिक
भोपाल| मध्यप्रदेश के सांसदों से लेकर तमाम लोग उम्मीद लगाए हुए थे कि मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार में राज्य की हिस्सेदारी बढ़ सकती है, मगर ऐसा हुआ नहीं। पहले यहां से सात मंत्री हुआ करते थे, अब छह ही रह गए हैं, वहीं बुंदेलखंड से टीकमगढ़ के सांसद डॉ. वीरेंद्र कुमार को मंत्री बनाकर इस क्षेत्र (बुंदेलखंड) से प्रतिनिधित्व बढ़ गया है।
उत्तर प्रदेश के हिस्सेवाले बुंदेलखंड के झांसी संसदीय क्षेत्र से उमा भारती पहले से ही मंत्री हैं, यह बात अलग है कि उनका कद कम कर दिया गया है।
मोदी मंत्रिमंडल के रविवार को हुए विस्तार से पहले की स्थिति पर गौर करें तो पता चलता है कि यहां से सुषमा स्वराज, नरेंद्र सिंह तोमर, एम.जे. अकबर, प्रकाश जावड़ेकर, थावर चंद गहलोत अब भी मंत्री हैं, जबकि फग्गन सिंह कुलस्ते की छुट्टी कर दी गई, जबकि अनिल माधव दवे का निधन हो चुका है। इस स्थिति में आसार यही थे कि कम से कम दो मंत्री राज्य से बनेंगे, मगर सिर्फ डॉ. वीरेंद्र को ही राज्यमंत्री बनाया गया है, जो दलित समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं और सागर जिले के निवासी हैं।
मंत्रिमंडल विस्तार से पहले सांसद राकेश सिंह और प्रहलाद पटेल के नामों की खूब चर्चा रही, सूत्रों की मानें तो दोनों ही इस भरोसे में थे कि उन्हें बुलावा आएगा। समर्थक भी उत्सव मनाने की तैयारी करने लगे थे, मगर ऐसा हुआ नहीं।
जानकार कहते हैं कि इन दोनों का मंत्री बनना इसलिए संभव नहीं हुआ, क्योंकि बुंदेलखंड से लोधी जाति की उमा भारती पहले से मंत्री हैं, लिहाजा पटेल को जगह कैसे मिलती, वहीं ठाकुर वर्ग से नरेंद्र सिंह तोमर हैं ही, तो राकेश सिंह का मंत्री बनाया जाना संभव नहीं था।
वहीं भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान से लेकर तमाम नेता मंत्रिमंडल को बधाई देने के अलावा किसी तरह की राय जाहिर करने से बच रहे हैं।
मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्य सचिव बादल सरोज का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी अपनी सरकार को कार्पोरेट की तरह चलाना चाह रहे हैं। इनके यहां सामाजिक संतुलन और गरीबों के लिए कोई जगह नहीं है। यही कारण है कि जिन लोगों ने जिंदगी भर आईएएस और आईपीएस के तौर पर समाज पर डंडा चलाया, उन्हें मंत्री बना दिया गया है।
उन्होंने कहा, जहां तक मध्यप्रदेश की बात है, यहां बाहरी नेताओं को मनोनीत कराकर मंत्री बना देते हैं, जो राज्य के हितों पर सीधा डाका है, क्योंकि दूसरे प्रदेश का व्यक्ति मध्यप्रदेश का भला क्यों चाहेगा।
कुलस्ते को मंत्री पद से हटाए जाने से आदिवासी वर्ग में नाराजगी है। आदिवासी नेता गुलजार सिंह मरकाम न कहा, “कुलस्ते के जरिए नर्मदा नदी के तट पर निवासरत आदिवासियों को भाजपा से जोड़ना की कोशिश थी, जब इसमें सफलता नहीं मिली तो कुलस्ते को मंत्री पद से हटा दिया। यह आदिवासियों का अपमान है।”
उन्होंने कहा, मौजूदा सरकार हर किसी का उपयोग करना चाहती है, जब उद्देश्य पूरा नहीं होता, तो उसे किनारे लगा देती है। कुलस्ते के साथ भी ऐसा ही हुआ।
मोदी मंत्रिमंडल में बुंदेलखंड की हिस्सेदारी बढ़ने पर वरिष्ठ पत्रकार अनिल शर्मा का कहना है कि उमा भारती के मंत्री रहते बुंदेलखंड के हिस्से कोई फायदा नहीं आया, अब एक और मंत्री इस क्षेत्र से बन गया है, मगर लगता नहीं है कि बुंदेलखंड की तकदीर को बदल पाने में दोनों नेता सफल हो पाएंगे।
मोदी मंत्रिमंडल में वर्तमान में मध्यप्रदेश से छह मंत्री हैं, मगर उनमें से तीन सुषमा स्वराज, एम.जे. अकबर व प्रकाश जावड़ेकर ऐसे मंत्री हैं, जिनका सीधे तौर पर मध्यप्रदेश से नाता नहीं है। ये मंत्री राज्य के हित में उतने काम नहीं कर पा रहे हैं, जितनी लोग उनसे अपेक्षा करते हैं। सुषमा स्वराज के तो विदिशा संसदीय क्षेत्र में ‘लापता’ होने के पोस्टर तक लग गए थे।

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