उरई । उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में कर्ज में डूबे एक और किसान ने फाँसी पर झूल कर आत्म हत्या कर ली ।
किसानों की कब्रगाह के रूप में सारी दुनियाँ में अभिशप्त पहचान बना चुके उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के हालात निजाम दर निजाम बदल जाने के वाबजूद नहीं बदल पा रहे हैं । बुधवार को सिरसाकलार थाने के ग्राम सरेनी निवासी 45 वर्षीय किसान जय किशोर की पत्नी छोटी बहू को जब उनके पति घर के आँगन में बिछी खाट पर नहीं दिखाई दिये तो उन्होने अंदर जा कर देखा जहाँ उनकी लाश फाँसी पर झूलते देख उनके पैरों तले की जमीन खिसक गई । उनके चीखने पर पड़ौसियों को जानकारी हुई तो उनके घर पर भीड़ जुट गई ।
10 लाख रुपये का कर्जा था
जयकिशोर के पिता देव सिंह ने कर्ज पर ट्रैक्टर खरीदा था । उनकी मौत के बाद यह कर्जा जयकिशोर के सिर पर आ गया । यह कर्जा बढ़ता गया । इस बीच खेती में प्राकृतिक आपदा के कारण घाटा होता रहा जिससे कर्ज चुकाना तो दूर वह और कर्ज लेने को मजबूर हो गए । जयकिशोर ने ग्रीन कार्ड पर कर्जा निकालने के अलावा साहूकारों से भी उधार ले रखा था । उस पर लगभग 10 लाख रुपये का कर्जा था ।
पलायन को मजबूर हुआ
खेती की बदहाली से निराश हो कर 5 वर्ष पहले पलायन करके वह जयपुर चला गया था जहाँ पानी पूड़ी का धंधा करने लगा था लेकिन इससे भी उसे कर्ज से उबरने में कोई मदद नहीं मिली जिसके चलते एक साल पहले वह अपने गाँव वापस आ गया । उसने गुजारा चलाने के लिए अपनी 6 बीघा जमीन गिरवी रख दी । उसके घर कर्जा वसूलने के लिए साहूकार आए दिन दस्तक देते थे जिससे वह डिप्रेशन का शिकार हो गया था । यही मनोदशा उसे आत्महत्या के फ़ैसले की ओर खींच ले गई ।
बच्चों के सिर से हटा पिता का साया
मृतक जय किशोर की तीन संताने हैं जिसमें सबसे बड़ा पुत्र मनीष 11 वर्ष का है । 2 पुत्रियाँ काजल 6 वर्ष की और प्रियंका 4 वर्ष की है ।
इतनी छोटी उम्र में बच्चों के सिर से पिता का साया उठ जाने की वेदना से गाँव का हर आदमी गमगीन हो गया । बच्चों की मां छोटी बहू के लिए भी उसके पति की मौत से कोई सहारा नहीं बचा है । मृतक के माता पिता पहले से ही संसार सागर से विदा ले चुके थे । उसके कोई सगे भाई , बहिन भी नहीं थे ।