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योग का अर्थ व्यक्तिगत चेतना का सर्वोच्च चेतना से मिलन है… श्रीमती शीला त्रिपाठी, रिपोर्ट -राजेश शिवहरे

अनूपपुर (मध्य प्रदेश राजेश शिवहरे)इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक कब योग विभाग एवं श्रीशील मण्डल के सौजन्य से कन्या शिक्षा परिसर, पुष्पराजगढ़ में छात्राओं का मेडिकल टीम द्वारा स्वास्थ्य परिक्षण किया गया एवं निशुल्क दवा वितरण किया गया साथ में बच्चों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहने और योग प्रशिक्षण भी दिया गया। इस अवसर पर श्रीशील मण्डल की अध्यक्षया श्रीमती शीला त्रिपाठी ने अपने उद्बोधन में कहा कि मानसिक तनाव, मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कोरोनरी हृदय रोग और क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज जैसी आधुनिक महामारी संबंधी बीमारियों के उपचार के लिए योग पिछले कुछ दशकों में शोध का विषय रहा है। व्यक्तिगत अध्ययन इन स्थितियों में योग के लाभकारी प्रभाव की रिपोर्ट करते हैं, यह दर्शाता है कि इसका उपयोग इन स्थितियों के उपचार के लिए गैर-फार्मास्युटिकल उपाय या दवा चिकित्सा के पूरक के रूप में किया जा सकता है। हालाँकि, इन अध्ययनों में चिकित्सीय उद्देश्यों के लिए केवल योग आसन, प्राणायाम या छोटी अवधि के ध्यान का उपयोग किया गया है। योग के बारे में भी आम धारणा यही है, जो सही नहीं है। वास्तव में योग का अर्थ व्यक्तिगत चेतना का सर्वोच्च चेतना से मिलन है। इसमें योग के आठ चरण या अंग शामिल हैं, जिनमें यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि शामिल हैं। इनके गहन अभ्यास से आत्म-साक्षात्कार होता है, जो योग का प्राथमिक लक्ष्य है। योग के पायदानों और लक्ष्य पर एक विश्लेषणात्मक नज़र डालने से पता चलता है कि यह जीवन का एक समग्र तरीका है जो पूर्ण शारीरिक, सामाजिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण और प्रकृति के साथ सद्भाव की स्थिति की ओर ले जाता है। 
इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के योग विभाग के सहायक आचार्य डॉ हरेराम पांडेय ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में श्रीशील मंडल की और से डॉ शिखा बैनर्जी, डॉ सुनीता मिंज, श्रीमती प्रज्ञा मिश्रा एवं सभी सम्मानित सदस्यों सहित योग विभाग के छात्र एवं छात्राएं तथा विद्यालय की छात्राएं उपस्थित थी।

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