नई दिल्ली 21 सितंबर राफेल डील पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के प्रहार से मोदी सरकार अब हिलती नजर आ रही है। डील को लेकर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति के हवाले से मीडिया में छपी खबर में साफ किया गया है कि मोदी सरकार की ओर से अनिल अंबानी का नाम जबरन थोपा गया।
फ्रेंच वेबसाइट ने पूर्व राष्ट्रपति ओलांद के हवाले से कहां है कि डील में अनिल अंबानी का नाम दिए जाने के बाद दसा एविएशन कंपनी के पास कोई विकल्प नहीं बचा था। पहले करार सो विमानों को लेकर था बाद में भारत सरकार 37 विमानों पर सहमति जताई।
मीडिया पार्ट के प्रमुख ने कहा कि हमने उनसे अनिल अंबानी के बारे में सवाल पूछा था क्योंकि बाद में अंबानी का पैसा जुली जेयट की फिल्म में पैसा लगाया गया. इस पर ओलांद ने कहा कि इस डील का मतलब यह नहीं कि वह अपनी गर्लफ्रेंड को कुछ गिफ्ट करें. अंबानी डील के लिए फ्रेंच सरकार से नहीं मिले. रिलायंस भारत सरकार की मांग के आधार पर डील में शामिल था. ओलांद ने कहा कि यह मामला उनके राष्ट्रपति रहने से संबंधित नहीं है.
इस मामले में प्रख्यात वकील प्रशांत भूषण के एक ट्वीट में नया मोड़ ला दिया है उन्होंने ट्वीट में ओलांद का जिक्र करते हुए कहां है कि दशा या फ्रांस मैं अनिल अंबानी का चयन नहीं किया था तो क्या मोदी जी यह कोई सीक्रेट है?
बढ़ते विवाद के बाद रक्षा मंत्रालय ने भी एक ट्वीट किया है। पार्टनर चुनने में भारत सरकार की कोई भूमिका नहीं है।