रामपुर सीआरपीएफ कैंप पर हमले के चार आरोपियों की फांसी का एक की आजीवन कारावास की सजा रद्द

प्रयागराज | इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रामपुर के सीआरपीएफ कैंप पर 18 साल पहले हुए हमले के चार आरोपियों की फांसी और एक की आजीवन कारावास की सजा रद्द कर दी है| अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष मुख्य अपराध को साबित करने में विफल रहा| साथी प्रदेश सरकार को जांच में लापरवाही बरतने रखने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की छूट दी गई है|
यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा व राम मनोहर नारायण मिश्रा की खंडपीठ ने दिया| मामला 31 दिसंबर 2007 की रात और 1 जनवरी 2008 की सुबह रामपुर सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर के गेट नंबर एक पर हुए आतंकी हमले से जुड़ा है | जिसमें 7 सीआरपीएफ जवानों और एक रिक्शा चालक की मौत हुई थी|
इस हमले के मामले में पुलिस ने मोहम्मद शरीफ, शहाबुद्दीन, इमरान शहजादा, मोहम्मद फारूक और जंग बहादुर खान को आरोपी बनाया था|
अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, रामपुर ने 2 नवंबर 2019 को चार आरोपियों को हत्या और अन्य गंभीर धाराओं में दोषी करते हुए फांसी तथा जंग बहादुर को आजीवन कारागार की सजा सुनाई थी |
आरोपियों ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी| सनी के बाद खंडपीठ ने जांच में गंभीर कमियां पाए हुए सभी पांचो की हत्या, आतंकवादी गतिविधियों और अन्य धाराओं से बरी कर दिया |

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