लखनऊ के देवता हैं बजरंग बली. रिपोर्ट:अनिल मौर्य

जेठ का महीना, लखनऊ, बजरंग बली, भंडारे. हर शहर / ग्राम के अपने देवता होते हैं – कहना अनुचित न होगा, लखनऊ के देवता हैं बजरंग बली. अयोध्या है राम की नगरी, लखनऊ के रक्षक हैं हनुमान.

शहर में हज़रत गंज में गोमती सेतु पर है बाबा नीब करौली का बनाया हुआ भव्य हनुमान सेतु मंदिर. इसी तरह अलीगंज में है प्राचीन हनुमान मंदिर 18 वी सदी का. इन दोनों ही मंदिरों में हर मंगलवार और शनिवार ज़बरदस्त भीड़ होती है.

लखनऊ की स्थापना लखना पासी ने की थी जिनकी पत्नी लखनौटी के नाम पर लखनौ नाम पड़ा. वह शिव भक्त थे. जहां शिव वहाँ हनुमान – शहर में कोने कोने में बजरंग बली के सैंकड़ों वर्ष पुराने मंदिर हैं.

युग बदले राज बदले राजा गये नवाब आये नवाब गये अंग्रेज आये. अंग्रेज गये लोकतंत्र आया, नहीं बदला तो लखनऊ के आराध्य देव – बजरंग बली.

हिन्दी में जेठ माह के चारों मंगल बड़े मंगल के नाम से लखनऊ में मनाये जाते हैं. यह स्थानीय अवकाश में भी आता है. इन चार मंगल में शहर में भंडारे लगते हैं – अनगिनत. पूरा शहर भंडारों में ही खाता है. यह भंडारे लखनऊ की संस्कृति और समाजिकता से जुड़े हैं. हर वह व्यक्ति जो सामाजिक है भंडारों का आयोजन करता है – चाहे वह किसी भी धर्म का हो मज़हब का हो, रिलीजन का हो, पार्टी का हो. लखनऊ में यदि रहते हैं तो बजरंग बली के प्रति समर्पण और जेठ के महीने में बड़े मंगल में भंडारे का सामाजिक उत्सव मनाना ही है.

आज जेठ का तीसरा मंगल था. भंडारे करने वाले ज्यादा हैं तो अब मंगल ही नहीं शनिवार को भी भंडारा होता है. इस शहर में अमीर, गरीब, राजा, प्रजा बड़े मंगल में सभी बजरंग बली का भंडारा प्रसाद ग्रहण करते हैं. वह लखनऊ के रक्षक हैं. कलियुग के जीवित देवता हैं.
साभार: नितिन त्रिपाठी

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