लखनउ 8 जनवरीः उप्र सरकार ने कोर्ट के आदेश को अमल मे लाने के लिये धार्मक स्थल से लाउउस्पीकर हटाने को कहा है। इसका विरोध हो रहा है, लेकिन सरकार सख्त है। मंदिर, मस्जिद सहित सभी सार्वजनिक स्थलो पर लाउडस्पीकर को लेकर अब अनुमति और तीव्रता का ध्यान रखना जरूरी हो गया है। वैसे यह कानून क्या कहता है, यह भी जानना जरूरी है।
क्या कहता है कानून?
ध्वनि प्रदूषण (अधिनियम और नियंत्रण) कानून, 2000 जो पर्यावरण (संरक्षण) कानून, 1986 के तहत आता है की 5वीं धारा लाउडस्पीकर्स और सार्वजनिक स्थलों पर बजने वाले यंत्रों पर मनमाने अंदाज में बजने पर अंकुश लगाता है.
- लाउडस्पीकर या सार्वजनिक स्थलों पर यंत्र बजाने के लिए प्रशासन से लिखित में अनुमति लेनी होगी.
- लाउडस्पीकर या सार्वजनिक स्थलों पर यंत्र रात में नहीं बजाए जा सकेंगे. इसे रात 10 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक बजाने पर रोक है. हालांकि ऑडिटोरियम, कांफ्रेंस रूम, कम्युनिटी और बैंकट हॉल जैसे बंद कमरों या हॉल में इसे बजाया जा सकता है.
- नियम की उपधारा (2) के अनुसार, राज्य सरकार इस संबंध में कुछ विशेष परिस्थितियों में रियायतें दे सकती है. वह किसी संगठन या धार्मिक कार्यक्रम के दौरान लाउडस्पीकर या सार्वजनिक स्थलों पर चलने वाले यंत्रों को बजाने की अनुमति रात 10 बजे से बढ़ाकर 12 बजे तक दे सकती है. हालांकि किसी भी परिस्थिति में एक साल में 15 दिन से ज्यादा ऐसी अनुमति नहीं दी जा सकती.
राज्य सरकार के पास यह अधिकार होता है कि वह क्षेत्र के हिसाब से किसी को भी औद्योगिक, व्यावसायिक, आवासीय या शांत क्षेत्र घोषित कर सकता है. अस्पताल, शैक्षणिक संगठन और कोर्ट के 100 मीटर के दायरे में ऐसे कार्यक्रम नहीं कराए जा सकते, क्योंकि सरकार इन क्षेत्रों को शांत जोन क्षेत्र घोषित कर सकती है.
किन क्षेत्रों में क्या है ध्वनि सीमा
इस नियम के अनुसार, सार्वजनिक और निजी स्थलों पर लाउडस्पीकर की ध्वनि सीमा क्रमश:10 डेसीबल और पांच डेसीबल से अधिक नहीं होगी.
रिहाइशी इलाकों में ध्वनि का स्तर सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक 55 डेसीबल तो रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक 45 डेसीबल तक ही रख जा सकता है. जबकि व्यवसायिक क्षेत्र में सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक 65 डेसीबल और रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक 55 डेसीबल तक का स्तर होना चाहिए. दूसरी ओर, औद्घोगिक इलाकों में इस दौरान ध्वनि स्तर को सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक 75 डेसीबल रख सकते हैं. वहीं शांत क्षेत्र (साइलेंस जोन) में इन दौरान क्रमशः 50 डेसीबल और 40 डेसीबल ध्वनि का स्तर रखा जाना चाहिए.
पर्यावरण (संरक्षण) 1986 कानून की धारा 15 के तहत इसे दंडनीय अपराध माना गया है. नियम का उल्लंघन करने पर 5 साल की जेल या एक लाख का जुर्माना या फिर दोनों (जेल और जु्र्माना) सजा दी जा सकती है. साथ ही हर दिन के उल्लंघन के पांच हजार रुपये प्रतिदिन की सजा का प्रावधान अलग से है.