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शिवपुरी के 150 घरों पर लिखा ‘मेरा परिवार गरीब है’

संदीप पौराणिक
शिवपुरी, 17 दिसंबर | गरीबी इंसान के लिए सबसे बड़ा अभिशाप है। इस अभिशाप से जूझ रहे मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के सहरिया आदिवासियों के घरों के बाहर लिख दिया गया है- ‘मेरा परिवार गरीब है’ क्योंकि ये गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोग हैं। इंसानों के आत्मसम्मान पर चोट करने वाला यह वाक्य इनके घर पर किसने लिखा, क्यों लिखा, इसकी पड़ताल की जा रही है।

जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर है विनैगा गांव। यहां की एक बस्ती में 150 से ज्यादा सहिरया आदिवासियों के कच्चे मकान हैं। इनकी माली हालत अच्छी नहीं है, यही कारण है कि अधिकांश को गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) के परिवारों में रखा गया है। यहां हाल ही में बीपीएल परिवारों का सर्वेक्षण कार्य हुआ है। सर्वेक्षण करने वाले दल ने उन सभी घरों के बाहर बीपीएल कार्ड नंबर, परिवार मुखिया का नाम और ‘मेरा परिवार गरीब है’ लिख दिया है।

ओड़िशा के विधि विश्वविद्यालय में अध्ययनरत अभय जैन और पुलकित सिंघल पिछले दिनों शिवपुरी जिले में सूखे के हालत का जायजा लेने निकले, तो वे विनैगा गांव में घरों के बाहर लिखी इबारत को पढ़कर चौंक गए।

जैन ने शनिवार को आईएएनएस को बताया, “जब हमने देखा कि सहरिया आदिवासियों के घरों के बाहर बाकायदा पेंट करके बीपीएल कार्ड नंबर, परिवार के मुखिया का नाम और ‘मेरा परिवार गरीब है’ लिखा है, तो दंग रहे गए। यह पूरी तरह कानून के खिलाफ है। यह गरीबों के आत्मसम्मान पर चोट करने वाला है और मानवाधिकार का हनन भी।”

जैन ने आगे बताया कि उन्होंने पिछले माह इस गांव के घरों की तस्वीर सहित राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराई है। अफसोस की बात यह कि सर्वेक्षण में चिह्न्ति किए जाने के बावजूद इन आदिवासियों को सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। इन्हें पीने का पानी तक नसीब नहीं है। इनकी बस्ती में एक हैंडपंप है, जो खराब पड़ा है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इन आदिवासियों की हालत से अनजान नहीं हैं। वह पिछले दिनों शिवपुरी जिले के दौरे के दौरान आदिवासी सम्मेलन में सहरिया आदिवासियों में बढ़ते कुपोषण पर चिंता जताई थी और कहा था, “इस पर अंकुश लगाने के लिए इन परिवारों को राज्य सरकार सब्जी, फल और दूध के लिए हर माह एक हजार रुपये देगी।”

जिलाधिकारी तरुण राठी ने आईएएनएस से चर्चा के दौरान घरों के बाहर ‘मेरा परिवार गरीब है’ लिखा होने की बात स्वीकारते हुए कहा कि वह इस बात की जांच करा रहे हैं कि किसने और क्यों ऐसा लिखा है, साथ ही लिखे गए ब्यौरे को मिटाने के भी आदेश दे दिए गए हैं।

गौरतलब है कि शिवपुरी व श्योपुर में सहरिया आदिवासियों की बड़ी आबादी है। इन दोनों जिलों में 50 हजार से ज्यादा सहरिया बच्चे कुपोषण की चपेट में हैं। शिवपुरी व श्योपुर में पिछले साल 150 से ज्यादा बच्चों की मौत कुपोषण के चलते हुई थी। यह बात जब देश में फैली, तब मुख्यमंत्री शिवराज ने दूध, फल व सब्जी के लिए प्रत्येक परिवार को एक हजार रुपये प्रति माह देने की घोषणा की।

सहरिया आदिवासियों के प्रति शासन-प्रशासन का क्या नजरिया है, यह बताने के लिए विनैगा गांव तैयार है। कोई पूछे तो सही, 14 साल में विकास की किरण यहां तक क्यों नहीं पहुंची? विकास को यहां तक आने से रोका किसने?

 

 

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