झांसी: बुन्देलखण्ड मे सपा के कददावर नेता माने जाने वाले डा. चन्द्रपाल सिंह यादव पूर्व मुख्यमंत्री और सपा अध्यक्ष अखिलेश सिंह यादव की टीम मे बतौर सदस्य के रूप मे स्थापित होने मे कामयाब रहे। एक वक्त वो था, जब उन्हे कोषाध्यक्ष का पद मिला था।
शायद इसी को दिनो का फेर कहा जाता है। वक्त किस करवट बैठेगा, किसी को पता नहीं होता। झांसी मे लोकसभा, विधानसभा चुनाव मे अपनी किस्मत आजमा चुके चन्द्रपाल सिंह यादव ने मुलायम सिंह यादव का साथ उन दिनो मे दिया, जब वो नयी पार्टी बनाकर राजनैतिक पटल पर उभरे थे।
मुलायम सिंह यादव का चन्द्रपाल सिंह के प्रति अटूट विश्वास रहा। हर रैली, सम्मेलन से लेकर पार्टी की गतिविधियो मे मुलायम सिंह यादव ने चन्द्रपाल सिंह का आगे रखा। पारिवारिक संकट के दौर मे चन्द्रपाल सिंह ने मुलायम का हाथ छोड़कर बेटा अखिलेश का दामन थाम लिया।
अपने राजनैतिक करियर को दिशाहीन बनने से बचने के लिये उठाये गये कदम मे यह कहा जा रहा था कि चन्द्रपाल सिंह क्या अखिलेश की टीम मे जगह बना पाएंगे? यह सवाल इसलिये उठा था क्यांेकि अखिलेश सिंह यादव की चन्द्रपाल सिंह से कभी पटरी नहीं खायी। चन्द्रपाल को राम गोपाल यादव गुट का माना जाता है। यही कारण रहा कि उन्हे सदस्य के रूप मे शामिल किया गया।
चन्द्रपाल सिंह यादव फिलहाल पार्टी के राज्यसभा सांसद हैं। ऐसे मे पार्टी उन्हे सदस्य बनाकर यह संदेश देना चाहती थी कि पुरानों को साथ लेकर चलेंगे।
बुन्देलखण्ड का प्रतिनिधित्व मिलने के बाद चन्द्रपाल सिंह यादव के सामने नयी प्रकार की चुनौती होगी। इन दिनो निकाय चुनाव की सरगर्मी तेज है। बीते रोज सपा की बैठक मे चन्द्रपाल सिंह यादव ने माना कि अब पार्टी से टिकट मांगने वालो का संकट है। इसलिये कमिटि बनायी जा रही है।
इस कमिटि के जरिये लोगो के आवेदन मांगे गये हैं। बरहाल, चन्द्रपाल को अखिलेश के सामने खुद को साबित करने का एक अच्छा अवसर है। निकाय चुनाव मे यदि पार्टी बेहतर प्रदर्शन करने मे सफल रहती है, तो चन्द्रपाल का पार्टी मे कद बढ़ सकता है?