सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से सजा-ए-मौत के विकल्प पूछे

नई दिल्ली 9 जनवरीः सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार ने सजा-ए-मौत के मतलब फांसी का विकल्प पूछा है।कोर्ट ने सरकार को चार सप्ताह का समय दिया है। कोर्ट ने कहा कि दुनिया मे इस तरह के मामले मे क्या विकल्प हैं?

एक याचिका पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि केन्द्र सरकार बताये कि दूसरे देश मे मौत की सजा कैसे दी जाती है?

इस मामले पर केंद्र सरकार ने जवाब दाखिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से चार हफ्ते की मोहलत मांगी. जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया. सुप्रीम कोर्ट चार हफ्ते बाद मामले की सुनवाई करेगी.

मामले में याचिकाकर्ता की दलील थी कि फांसी की सजा अमानवीय और बर्बर है. आज के सभ्य समाज में ये स्वीकार्य नहीं है. लिहाजा मौत की सजा ऐसी हो जिसमें दर्द कम हो. साथ ही मौत का डर भी नहीं सताए, क्योंकि मौत से ज्यादा मौत का डर ज्यादा दुखदायी होता है.

याचिका में यह दलील भी दी गई कि फांसी की सजा में करीब 40 मिनट लगते हैं, जबकि इंजेक्शन, गोली मारने और बिजली के झटके से मारने में महज कुछ मिनट. ऐसे में मौत की सजा के तहत इन्हीं में से या ऐसे ही किसी तरीके को अपनाया जाना चाहिए.

 

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