लखनउ 4 अप्रैलः राजनैतिक गठजोड़ की गांठ अखिलेश कुछ इस तरह लगाना चाहते हैं, ताकि वो आम चुनाव से पहले ना तो ढीली पड़े और ना ही खुल सके। मौका कोई हो, पहल अपनी ओर से करने मे कोई हिचक नहीं। बुआ को एक और खुशी का मौका देने के लिये सपा ने 14 अप्रैल को बाबा साहब अंबेडकर जयन्ती को भव्य तरीके से मनाने का निणर्य लिया है। यानि साइकिल वाले एक बार फिर से बाबा साहब की जय बोलेगे।
पिछले आम चुनाव मे लगभग सूपड़ा साफ होने की स्थिति मंे आये सपा को आने वाले आम चुनाव तक तंदुरूस्त बनाये रखने की नये सिरे से तैयारी कर रहे अखिलेश यादव ने बसपा से तालमेल का जो दांव खेला, पहले दौर मे वो इतना सफल हो जाएगा, इसका अंदाजा किसी को नहीं था।
सपा के नये चाणक्य बनकर उभरे सेठ की सेठगीरी ने तो जैसे अखिलेश की राजनैतिक झोली ही भर दी। छत्तीस का आंकड़ा मानने वाली बुआ, राज्यसभा मे मिली हार के बाद भी नहीं तिलमिलायी। यह अखिलेश के लिये सेठगीरी करने वाले सेठ की अंदरूनी रणनीति की सफलता की निशानी थी।
माना जा रहा है कि एक बार फिर से अखिलेश यादव ने पर्दे के पीछे से दी गयी सेठ की सलाह को अमली जामा पहनाने की तैयारी कर ली है। 14 अप्रैल को समाजवादी पार्टी भव्य तरीके से अंबेडकर जयन्ती का आयोजन करेगी।
. पार्टी के ज़िला अध्यक्षों को इस साल धूमधाम से अंबेडकर जयंती मनाने को कहा गया है. वैसे तो समाजवादी पार्टी हर साल बाबा साहब के जन्मदिन पर जयंती मनाती रही है लेकिन इस बार संगत का असर हुआ है.
जब से बुआ और भतीजे करीब आए हैं, राममनोहर लोहिया और अंबेडकर के नारे साथ-साथ लगने लगे हैं. मायावती को ख़ुश करने के लिए इस बार समाजवादी पार्टी ने अंबेडकर जयंती को स्पेशल बनाने की तैयारी की है. पार्टी ऑफ़िस के बदले इस साल सार्वजनिक जगहों पर समारोह आयोजित किए जाएंगे. इसमें अंबेडकर की जीवनी से लेकर दलितों के लिए उनके संघर्ष के बारे में कार्यकर्ताओं को बताया जाएगा. जिन बैठकों में कभी सिर्फ़ लोहिया और मुलायम सिंह की चर्चा होती थी, अब उस लिस्ट में अंबेडकर का नाम भी जुड़ गया है.