अखिलेश को नसीहत देकर विजेता बनकर उभरी मायावती!

नई दिल्ली 4 जून । समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच लोकसभा चुनाव के दरमियान 12 जनवरी को हुए गठबंधन की गांठ 5 महीने भी राजनीतिक तपस नहीं झेल पाई और दोनों दल एकला चलो के रास्ते अपनाने को मजबूर हो गए हैं। दोनों के रास्ते अलग अलग होने के संकेतों के दौरान एक बात तो साफ हो रही है कि गठबंधन का फायदा बसपा को लोकसभा चुनाव में हुआ, लेकिन उससे कहीं अधिक फायदा मायावती को इस बात से हो रहा है कि वह अखिलेश को सीख देने के बाद विजेता बनकर सामने आई हैं

मंगलवार को बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने ऐलान किया कि वह आने वाले उपचुनाव में अकेले लड़ेंगे । इसके साथ ही समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी कह दिया कि अगर ऐसा है तो हम भी अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी करेंगे।

हालांकि मायावती ने कहा कि अखिलेश यादव और डिंपल यादव के साथ उनके परिवारिक रिश्ते बहुत अच्छे हैं, लेकिन राजनैतिक रास्तों पर अभी विचार बाकी है ।उन्होंने ऐलान किया कि अखिलेश यादव अपने यादव वोटरों को समझा नहीं पाए यही कारण रहा कि उनकी पत्नी और भाई खुद भी चुनाव हार गए ।

मायावती ने कहा कि समाजवादी पार्टी को अभी अनुशासित बनना होगा बहुजन समाज पार्टी एक अनुशासित पार्टी है । मायावती ने अखिलेश को सीख देते हुए कहा कि वे संगठन में बदलाव लाए तो शायद कुछ हो सकता है।

मायावती ने कहा कि हालांकि, हम राजनीतिक मजबूरियों को नजरअंदाज नहीं कर सकते। इसलिए हमने अकेले उपचुनाव लड़ने का फैसला किया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि गठबंधन हमेशा के लिए समाप्त नहीं हो रहा है। अगर हमें लगेगा कि सपा इस स्थिति में है कि गठबंधन से लाभ हो सकता है तो हम जरूर साथ आएंगे नहीं तो अलग-अलग रहना ही ज्यादा बेहतर होगा।

जिन सीटों पर उपचुनाव होना है उसमें गोविंदनगर, लखनऊ कैंट, जैदपुर, मानिकपुर और जलालपुर जैसी सीटें शामिल हैं।

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