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अन्ना की खजुराहो में लिखी इबारत पर गांधीवादियों की मुहर

संदीप पौराणिक
भोपाल, 19 जनवरी | सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने तीन दिसंबर को विश्व पर्यटन स्थल खजुराहो की दीवार पर आगामी 23 मार्च से जन-आंदोलन की इबारत लिखी थी, जिस पर देश के तमाम गांधीवादियों ने अपनी मुहर लगा दी। अब 23 मार्च से पानी, किसानी और जवानी को लेकर देशव्यापी आंदोलन होगा।

दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में मंगलवार को आयोजित गंगा चिंतन शिविर में अन्ना हजारे सहित देश भर से जुटे गांधीवादियों ने पर्यावरण सहित तमाम मुद्दों पर खुलकर विचार-विमर्श किया। इस मौके पर अन्ना ने साफ तौर पर कहा कि 23 मार्च से पानी, किसानी और जवानी को लेकर शुरू होने वाले देशव्यापी आंदोलन में गंगा को बचाने के लिए पूरी तरह साथ हूं।

जल जन जोड़ो अभियान एवं जल बिरादरी की ओर से बुधवार को दिए गए ब्योरे में बताया गया कि अन्ना हजारे ने महात्मा गांधी का जिक्र करते कहा, “महात्मा गांधी ने कहा था कि प्रकृति और मानव का दोहन करके जो विकास होता है वह शाश्वत नहीं होता, इसलिए हमें अपनी गंगा मां और प्रकृति का दोहन रोकने हेतु युवाओं को संगठित करना होगा। साथ ही यदि गंगा को बचाना है तो सच्चे संकल्प एवं प्रतिज्ञा करने की आवश्यकता है।”

ज्ञात हो कि दिसंबर माह में खजुराहो में एक सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इस सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे अन्ना हजारे ने ’23 मार्च चलो दिल्ली’ का नारा दिया था और यहां की दीवार पर इस नारे को दर्ज भी किया था। अन्ना 23 मार्च से दिल्ली में आंदोलन शुरू करने वाले हैं।

जल जन जोड़ो अभियान एवं जल बिरादरी की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, गंगा चिंतन शिविर में देश में जलपुरुष के नाम से पहचाने जाने वाले राजेंद्र सिंह, गांधीवादी सुब्बाराव, राष्ट्रीय पर्यावरणीय अभियांत्रिकी अनुसंधान के निदेशक राकेश कुमार, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के रिवर बेसिन और जल नीति के निदेशक डॉ. सुरेश बाबू, जल जन जोड़ो अभियान के संजय सिंह ने गंगा नदी की स्थिति पर अपनी बात रखी।

इस अवसर पर राजेन्द्र सिंह ने कहा कि गंगा नदी 5 राज्यों से होकर निकलती है। गंगा मां को उनके पूर्व स्वरूप में लाने हेतु अब सिर्फ आंदोलन नहीं किया जाएगा बल्कि समाधान हेतु अनवरत प्रयास किए जाएगा। इस प्रयास में समुदाय के सहयोग के साथ-साथ वैज्ञानिकों के सुझाव भी महत्वपूर्ण रहेंगे।

गांधीवादी चिंतक एवं सामाजिक कार्यकर्ता सुब्बा राव ने गंगा नदी के प्रति जनमानस को शिक्षित एवं संवेदित करने की आवश्यकता बताई। इस अवसर पर राष्ट्रीय पर्यावरणीय अभियंत्रिकी अनुसंधान संस्थान के निदेशक राकेश कुमार ने सरकार की वर्तमान परियोजनाओं में जलीय जंतुओं को संरक्षित किए जाने हेतु कुछ बदलाव को जरूरी बताया।

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