आकांक्षा समिति ने किया जिला महिला चिकित्सालय का भ्रमण

*प्रसूताओं को आकांक्षा समिति और फॉग्सी संस्था द्वारा बांटी गई शिशु किट*

*जन्मदाता मां का स्वास्थ्य व पोषण बहुत जरूरी-प्रोफेसर रचना विमल*

*मां बनना सृष्टि का अनमोल उपहार- डॉ कुसुम पाण्डेय*

*नवजात शिशु के साथ स्वयं का भी ध्यान रखें प्रसूता महिलाएं- डॉ अलका सेठी*

*आकांक्षा समिति ने किया जिला महिला चिकित्सालय का भ्रमण*

*झांसी दि0- 17 दिसंबर 2025*
आकांक्षा समिति एवं फॉग्सी संस्था के संयुक्त तत्वाधान में जिला महिला चिकित्सालय झांसी में कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में आकांक्षा समिति की मण्डलीय अध्यक्षा प्रो0 रचना दुबे एवं स्वास्थ्य कार्यक्रम प्रभारी डॉ कुसुम पांडेय मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि फॉग्सी संस्था झांसी शाखा की अध्यक्षा डॉ अलका सेठी, डॉ विद्या चौधरी, डॉ सुश्री नीति शास्त्री उप सचिव आकांक्षा समिति एवं सीएमएस डॉ राजनारायण कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। डॉ अलका सेठी ने फाॅग्सी संस्था की ओर से प्रो0 रचना दुबे को शाल, श्रीफल देकर स्वागत किया एवं डॉ कुसुम पांडेय ने स्मृति चिन्ह एवं पौधा भेंट कर सम्मानित किया। कार्यक्रम में महिला चिकित्सालय में भर्ती प्रसूता महिलाओं को FOGSI संस्था के सौजन्य से आकांक्षा सिलाई केंद्र में निर्मित 25 शिशु किट प्रसूता माताओं को स्वस्थ जच्चा- स्वस्थ बच्चा का संदेश देते हुए वितरित की गईं और फल वितरण किया गया। आकांक्षा समिति तथा फॉग्सी संस्था द्वारा वितरित की गई किट में नवजात शिशुओं के साफ सूती कपड़े, ऊनी टोपा, मोजा, स्वेटर के साथ प्रसूता महिलाओं के लिए आयरन फोलिक एसिड की गोली और कैल्शियम की गोलियां, मौसमी फल रखे गए थे।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रो0 रचना विमल ने प्रसूता महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि प्रसव के पश्चात प्रसूता महिलाओं को विशेष देखभाल एवं पोषण की आवश्यकता होती है। बच्चों को जन्म देना मां के स्वयं के लिए दूसरा जीवन प्राप्त करने के समान है। सभी प्रसूताओं को अपने स्वास्थ्य के साथ पोषण का भी ध्यान रखना आवश्यक है। जब मां स्वस्थ होगी तब बच्चा भी स्वस्थ रहेगा क्योंकि 6 माह तक शिशु को मां का दूध पिलाना है। मां के पौष्टिक आहार लेने से बच्चों को पोषण मिलता है। उन्होंने आकांक्षा समिति और फाॅग्सी संस्था के साझा प्रयास से महिलाओं के स्वास्थ्य परीक्षण हेतु विशेष रूप से सर्वाइकल कैंसर जांच अभियान संचालित किए जाने की जानकारी देते हुए संकल्प भी लिया।

डॉ कुसुम पांडेय ने प्रसूता महिलाओं को जागरुक करते हुए कहा कि महिला के लिए मां बनना सृष्टि का उपहार है। महिला सृष्टिकर्ता है। इसलिए मां और नवजात शिशु की विशेष देखभाल करनी चाहिए। हमारी संस्कृति में पुराने समय में प्रसव के बाद महिलाओं को मेवेयुक्त लड्डू देना, उपहार के रूप में रिश्तेदारों द्वारा मौसमी फल, मेवे आदि लेकर आना, प्रसूता को सुपाच्य भोजन देना, लगभग सवा महीने तक मां और शिशु को अन्य लोगों के संपर्क से दूर रखकर संक्रमण से बचाना, 6 महीने पर अन्नप्राशन संस्कार पसनी के माध्यम से अनुपूरक आहार शुरू करना आदि परम्पराएं प्रचलित थीं। ये वास्तव में मां एवं शिशु के स्वास्थ्य व पोषण को ध्यान में रखकर की जाने वाली स्वस्थ प्रथाएं थीं। उन्होंने आकांक्षा समिति के सहयोग की सराहना करते हुए भविष्य में भी स्वास्थ्य परीक्षण शिविर आयोजित करने और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाने का सुझाव दिया।

डॉ अलका सेठी ने प्रसूता महिलाओं को बच्चों के स्वास्थ्य के साथ अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि महिलाएं जैसे गर्भावस्था के समय आयरन फोलिक एसिड और कैल्शियम की गोली खाती रही हैं, वैसे ही प्रसव के बाद 6 माह तक महिलाओं को आयरन फोलिक एसिड तथा कैल्सियम की गोली नियमित रूप से खानी चाहिए। संतुलित आहार के माध्यम से स्तनपान करने वाली महिलाओं को जरूरी पोषक तत्व लेने चाहिए।व्यक्तिगत साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए और आवश्यकता पड़ने पर तुरंत अस्पताल में जांच करानी चाहिए।

वरिष्ठ समाज सेविका डॉ नीति शास्त्री ने आकांक्षा समिति के उद्देश्य एवं गतिविधियों की जानकारी देते हुए कहा कि आकांक्षा समिति ने प्रसूता महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण संबंधी ज़रूरतों को पूरा करने और मातृ स्वास्थ्य में सुधार के लिए एक सहायक और प्रभावी कदम के रूप में किट तथा फल वितरण का आयोजन किया है। डॉ नीति शास्त्री ने कार्यक्रम का सफल संचालन भी किया। सीएमएस डॉ राजनारायण ने सभी का धन्यवाद व आभार व्यक्त किया। समिति के सदस्यों ने चिकित्सालय में एसएनसीयू, लैब, टीकाकरण कक्ष, ओपीडी सेवा, जेएसवाई वार्ड, प्रसूता वार्ड का भी भ्रमण किया।

इस कार्यक्रम में सीएमएस डॉ राजनारायण, वरिष्ठ समाजसेविका डॉ नीति शास्त्री, डॉ विद्या चौधरी, जिला महिला चिकित्सालय से डॉ प्रियंका चौधरी, श्री कौशल कुशवाहा सहित प्रसूता महिलाएं उपस्थित रहीं।

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