रवींद्र सिंह (मंजू सर) मैहर की कलम से
‘सहारा श्री की अंतिम क्रिया में नहीं शामिल हुए उनके दोनों पुत्र । पत्नी भी नहीं आईं ।’ रवींद्र सिंह (मंजू सर) मैहर की कलम कहती है की यह सिर्फ खबर भर नहीं है । यह आईना है जीवन का जिसमें हमें और आपको अपनी छवि गौर से देखनी चाहिए ।सुब्रत रॉय अर्थात् सहारा श्री आज पंचतत्व में विलीन हो गए । उनके पोते ने उन्हें मुखाग्नि दी ।उनके अंतिम क्रिया के वक्त उनके हजारों शुभचिंतक नजर आये । उनके मित्र, स्टॉफ, राजनेता से लेकर फिल्मी दुनिया की हस्तियां तक…अगर कोई उनकी अंतिम यात्रा के वक्त नहीं दिखे तो वे थीं उनकी पत्नी और उनके दोनों बेटे । उनकी मौत के वक्त भी उनके परिवार का कोई सदस्य उनके पास नहीं था…। पत्नी और बेटे तक नहीं ।यह वही सहारा श्री थे जिनके कारोबार की धाक कभी पूरी दुनिया भर में फैली थी । चिट फण्ड, सेविंगस फाइनेंस, मीडिया , मनोरंजन, एयरलाइन, न्यूज़, होटल, खेल, भारतीय क्रिकेट टीम का 11 साल तक स्पान्सर, वगैरह वगैरह…ये वही सहारा श्री थे जिनकी महफिलों में कभी राजनेता से लेकर अभिनेता और बड़ी बड़ी हस्तियां दुम हिलाते नजर आते थे…ये वही सहारा श्री थे जिन्होंने अपने बेटे सुशान्तो-सीमांतो की शादी में 500 करोड़ से भी अधिक खर्च किए थे । रवींद्र सिंह मंजू सर मैहर की कलम कहती है की ऐसा भी नहीं था कि सहारा श्री ने अचानक दम तोड़ा ! उन्हें कैंसर था और उनके परिवार के हरेक सदस्य को उनकी मौत का महीना पता होगा लेकिन तब भी अंतिम वक्त में उनके साथ, उनके पास परिवार का कोई सदस्य नहीं था…! बेटों ने उनके शव को कांधा तक नहीं दिया…!तो, यही सच्चाई है जीवन की । जिनके लिए हम आप जीवन भर झूठ-सच करके कंकड़-पत्थर जमा करते हैं… जिनके लिए हम आप जीवन भर हाय-हाय करते रहते हैं… जिनकी खुशी के लिए हम आप दूसरों की खुशी छीनते रहते हैं… जिनका घर बसाने के लिए हम आप हजारों घर उजाड़ते हैं… जिनकी बगिया सजाने और चहकाने के लिए हम आप प्रकृति तक की ऐसी तैसी करने में बाज नहीं आते…वे पुत्र और वह परिवार हम आपके लिए, अंतिम दिनों में साथ तक नहीं रह पाते !कभी ठहरकर सोचिएगा कि हम आप कुकर्म तक करके जो पूंजी जमा करते हैं, उन्हें भोगने वाले आपके किस हद तक ‘अपने’ हैं…? रवींद्र सिंह मंजू सर मैहर की कलम कहती है कि महान दार्शनिकअंगुलीमाल से बुद्ध ने यही तो कहा था कि “मैं तो कब का ही रूक गया, तुम कब रूकोगे…”आज मैं आप सभी से पूछना चाहता हूं – “हम सब कब रूकेंगे…?” आप सभी को यह कलम से आत्मिक लेखन लिखने का प्रयास किया है आप सभी को नमन प्रणाम