आखिर अखिलेश यादव को अठावले की बात बुरी क्यो लगी?

लखनउ 31 मार्चः दो विरोधी राजनैतिक दल के आपसी मेल मे आ रहे तीसरे दल के नेता की नसीहत कांटे सी चुभ रही है। बात हो रही है कि सपा-बसपा के तालमेल की। सपा मुखिया अखिलेश सिंह यादव को आरपीआई नेता रामदास अठावले के सुझाव इस कदर नागवार गुजरा कि उन्होने अठावले को ही गंभीरता से नहीं लेने की सलाह दे डाली।



वैसे तो सपा-बसपा की करीबी को अभी परवान चढ़ने मे काफी वक्त है, लेकिन मायावती के बदले अंदाज ने अखिलेश को संजीवनी दे दी है कि गठबंधन को दोनो पाले से खतरा नहीं है।

सवाल बस इतना सा है कि कहीं किसी दल के नेता की नीयत ना फिसल जाए। इस नीयत को डांवाडोल होते देख ही अखिलेश यादव भड़क गये। आपको बता दे कि रामदास अठावले ने बीते रोज मायावती को यह सलाह दी थी कि दलित समाज के भले की चिंता है, तो वो मोदी का साथ दे। बसपा को राजग के साथ आ जाना चाहिये।

अठावले के सुझाव पर मायावती खामोश रही, तो अखिलेश को लगा कि कहीं बहनजी दलित मुददे पर किसी तरह की बातचीत ना कर बैठे। अखिलेश ने लगे हाथ अठावले को कठघरे मे खड़ा किया और कह दिया कि अठावले जैसे नेता को गभीरता से लेने की जरूरत नही।

अखिलेश यादव की इस प्रतिक्रिया को राजनैतिक हलके मे सामान्य तौर पर नहीं देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि सपा-बसपा गठबंधन को लेकर सबसे ज्यादा चिंता अखिलेश को है। वो अच्छी तरह जानते है कि 2019 के आम चुनाव मे सपा को असली संजीवनी बसपा से ही मिलेगी?

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