नई दिल्ली 18 जून। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव क्या आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का साथ नहीं देना चाहते हैं यह सवाल बीते कुछ दिनों से राजनीतिक गलियारे में चर्चे बना हुआ है माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी आने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को गठबंधन से अलग करना चाहती है इसका सीधा मतलब यह है कि सपा यूपी में लोकसभा चुनाव के दौरान एक नए प्रकार का एंगल बनाना चाहती है।
लोगों का मानना है कि अखिलेश यादव अपने विदेश दौरे के जाने से पहले दिल्ली में गठबंधन के अन्य नेताओं से मुलाकात कर इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे दर्शन समाजवादी पार्टी को लगता है कि पिछले चुनाव में पार्टी की हार की मुख्य वजह कांग्रेस गठबंधन रहा।
इसके अलावा बीते दिनों हुए उप चुनाव मैं जिस प्रकार से भाजपा से गठबंधन के बाद सपा ने जीत का परचम लहराया उससे पार्टी के अंदर यह समीकरण बनने लगे हैं कि किसी भी हाल में बसपा का दामन ना छोड़ा जाए।
अखिलेश यादव बसपा को लेकर पहले ही साफ कर चुके हैं कि वह गठबंधन के लिए किसी भी हद तक झुकने को तैयार हैं जरूरत पड़ी तो कम सीटों पर भी समझोता कर लेंगे यानी वह गठबंधन का नेता मायावती को मानने के लिए लगभग राजी हैं
कांग्रेस से सपा की बिगड़ रहे संबंधों की सम्भवना इस बात से भी लगाई जा सकती है कि बीते दिनों कांग्रेस की इफ्तार पार्टी में सपा का कोई भी नुमाइंदा नहीं पहुंचा। जबकि अखिलेश यादव ने इस पार्टी में शामिल होने को लेकर जोर शोर से दावा किया था।
इसके अलावा कांग्रेस से दूरियां बना रही समाजवादी पार्टी की एक और रणनीति यह समझने लायक है कि उसने मध्यप्रदेश में अकेले दम पर चुनाव लड़ने का एलान किया है सपा से जुड़े सूत्र बताते हैं कि पार्टी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को केवल 80 में से 2 सीट देना चाहती है यह सीट रायबरेली और अमेठी की हैं।
कांग्रेस से धीरे धीरे अपने को अलग करें समाजवादी पार्टी लोकसभा चुनाव में अकेले इसलिए लड़ना चाहती है ताकि वह देश में बड़े विकल्प के रूप में सामने आ सके यही कारण है कि अखिलेश यादव कांग्रेस से दूरी बनाकर चल रहे हैं यह देखना यह होगा कि पिछले लोकसभा चुनाव में अखिलेश और राहुल की दोस्ती को लेकर जो कसीदे पढ़े गए थे , वह क्या 19 के आते आते पूरी तरह बिखर जाएंगे