लखनउ 25 सितम्बरः मंशा पूरी थी। तैयारी भी पूरी। नया दल का ऐलान होना तय था। अचानक ऐसा क्या हुआ कि प्रेस काफं्रेस मे मुलायम को दिये जाने वाला प्रेस नोट बदल दिया गया? इसको लेकर राजनैतिक गलियारे मे बहस छिड़ी है। लोग मुलायम के अचानक यू टर्न लेने के कई मायने निकाल रहे हैं। उस शख्स और परिस्थितियों की तलाश की जा रही, जिसमे मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश को राहत दी।
आज लखनउ के गलियारे मे एक ही संभावनाओ के बादल छाये थे कि मुलायम सिंह यादव पार्टी छोड़ने और नये दल का ऐलान करते है या नहीं। वैसे सब कुछ तय हो गया था। शिवपाल खेमे की तैयारी अंतिम थी।
जिस समय मुलायम यादव पत्रकारो के बीच आये, उनके चेहरे पर तनाव साफ झलक रहा था। हालंाकि मंझे हुये राजनैतिक खिलाड़ी की तरह मुलायम सिंह यादव ने अपनी बात को सीधे न रखते हुये प्रदेश और केन्द्र सरकार पर निशाना साधा।
जब मुलायम सिंह यादव यह बाते कह रहे थे, तब उनके पास वो प्रेस नोट नहीं था, जिसमे उन्होने अपने अपमान की बाते लिखी थी। इससे पहले कि मुलायम सिंह यादव का सरकार पर हमला बंद होता, उन्हंे दूसरा पर्चा थमा दिया गया।
इस पर्चें मे साफ कहा गया कि मुलायम सिंह यादव नयी पार्टी नहीं बना रहे, वो अखिलेश के निणर्य के साथ नहीं है।
अचानक हुये इस फेरबदल को लेकर शिवपाल खेमा भी सकते मे रह गया। कोई कुछ समझ नहीं पाया कि आखिर मुलायम सिंह यादव यह क्या कह रहे हैं? उन्हंे तो पार्टी छोड़ने का ऐलान करना था।
दरअसल, जो पर्चा मुलायम सिंह यादव को दिया जाना था, उसमे पिछले दिनो हुये राजनैतिक घटनाक्रम के साथ उनके अपमान की बाते भी लिखी थी। यदि आप चित्र को ध्यान से देखे, तो साफ दिखता है कि पर्चे मे नेताजी ने अपने अपमान को वरीयता दी। उन्हांेने मुसलमानो और नौजवानो की बात उठाने पर जोर दिया है, लेकिन यह सब कागज मे ही दर्ज होकर रह गया।
मुलायम सिंह यादव के अचानक यू टर्न लिये जाने से शिवपाल सिंह यादव खासे परेशान हैं। मुलायम के बारे मे कहा जाता है कि वो समय और परिस्थिति के हिसाब से पलटी मार लेते हैं।