झांसीः केन्द्रीय मंत्री उमा भारती ने इस्तीफा देकर सभी को चौंका तो दिया है, लेकिन राजनैतिक गलियारे मंे इसकी वजह कुछ और बतायी जा रही है। एक उमा भारती को किसी राज्य का राज्यपाल बनाया जाएगा, दूसरा उनका कद बढ़ाया जा सकता है। सूत्रांे की मानें तो उमा भारती के पर कतरने की मोदी की फिलहाल कोई मंशा नहीं है। अपने मंत्रिमंडल मंे फायरब्रांड नेता को रखकर मोदी बुन्देलखण्ड की राजनीति को नयी दिशा देने के मूड मंे हैं।
रविवार को प्रस्तावित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर कयासांे का दौर जारी है। सभी अपने-अपने नजरिये से मंत्रिमंडल के विस्तार को देख रहे हैं। सबसे ज्यादा निगाहंे केन्द्रीय मंत्री उमा भारती के इस्तीफे को लेकर है। उन्हंे मोदी के मानक पर खरा नहीं उतरने का कारण माना जा रहा है, तो कुछ लोग यह कह रहे हैं कि उमा भारती का कद बढ़ने वाला है। इसके अलावा मोदी ऐसे चेहरांे को लाना चाहते हैं, जो अब तक लाइमलाइट मंे नहीं है। 2019 के चुनाव की तैयारियों मंे जुटी मोदी सरकार अब अंतिम फेरबदल के रूप मंे कई राज्यांे के राजनैतिक गणित को साधना चाहती है। हालांकि यह भी तय है कि उमा भारती जैसे चेहरे मोदी की नजर से उतर भी सकते हैं, लेकिन इसकी संभावना कम ही है। हां, यदि मोदी उमा की जगह किसी नये चेहरे को लाते हैं, तो जाहिर है कि उमा को पद देते हुये मोदी उन्हंे राज्यपाल का पद दे दें।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के गणित मंे उमा भारती फिट नहीं बैठ रही। उनके संसदीय क्षेत्र से मिल रहे फीडबैक के बाद कहा जा रहा है कि उमा भारती को सेहत का हवाला देकर राज्यपाल तक सीमित किया जा सकता है। इससे कई निशाने साधे जा सकते हैं। एक तो उमा भारती को आडवानी की तरह संरक्षक समिति मंे बांध दिया जाए, दूसरा उर्जावान लोगांे को जगह देने का रास्ता साफ हो सके। उमा भारती तीन साल के भीतर बेहतरीन प्रदर्शन करने की मोदी की कसौटी को नहीं छू पायी है। वह अक्सर अपने स्वास्थ्य को लेकर सवालांे मंे रहती है। इसके अलावा बुन्देलखण्ड मंे उनकी साख भी गिर रही है। वह मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से भी खफा रहती है। ऐसे मंे बहुत संभव है कि उमा भारती को राज्यपाल का पद दिया जाए।
बरहाल, रविवार को तस्वीर साफ होगी, लेकिन यह तय है कि उमा भारती के लिये दो विकल्पों मंे से तीसरा विकल्प नहीं होगा।