रिपोर्ट- अवनीत गुर्जर
उरई। सरकार भले ही रेलवे के सफर के अनुभव को मुसाफिरों के लिए उम्दा से उम्दा बनाने में कसर बाकी न रख रही हो, लेकिन रेलवे के मगरूर कर्मचारियों को इसकी कोई परवाह नही है।
हाल ही में उनके मुसाफिरों के साथ निर्दयतापूर्ण अभद्र व्यवहार का नमूना सामने आया है।
बताया जाता है कि रविवार को पत्रकार विनय गुप्ता अपनी पत्नी और 10 वर्षीय बेटे के साथ यहां से ग्वालियर जा रहे थे। उन्होंने ग्वालियर में बेटे के इलाज के लिए डाक्टर से अप्वाइंटमैंट ले रखा था। जब वे रेलवे स्टेशन पर पहुंचे तो छपरा बरौनी एक्सप्रेस की व्हिसिल बज रही थी। ट्रेन छूटने के डर से वे बिना टिकट लिए पत्नी बच्चे के साथ जनरल डिब्बे में सवार हो गये। ट्रेन जब एट जंक्शन पहुंची तो उन्होंने नीचे उतर कर टिकट लेने के लिए बुकिंग खिड़की में संपर्क किया इस पर उनसे कहा गया कि ट्रेन जब खड़ी हो तब टिकट नही दिया जाता तो उन्होंने अपनी परिस्थिति और परिचय बताया पर टिकट देने वाला कर्मचारी नही पसीजा।
इस पर वह लौटने लगे तभी उन्हें पता चला कि क्रासिंग के कारण अभी ट्रेन काफी देर रुकेगी। इस पर वे दोबारा टिकट के लिए मिन्नतें करने विंडो पर पहुंच गये। लेकिन उनके विनम्र निवेदन को सुनने की बजाय वह कर्मचारी लाटसाहब की तरह भभक पड़ा। आरोप है कि उसने विनय गुप्ता के साथ अभद्रता की और टिकट देने से साफ मना कर दिया। नतीजतन विनय गुप्ता को पत्नी और बच्चे को नीचे उतारकर बस से ग्वालियर जाने की व्यवस्था करनी पड़ी। जिसके चलते वे अप्वाइंटमैंट के टाइम पर डाक्टर के पास नही पहुंच सके।
यही नही आहत विनय गुप्ता की खुद की भी हालत बिगड़ गई। हालांकि उन्हें तब सांत्वना मिली जब उन्होंने झांसी स्थित उप वाणिज्यिक प्रबंधक विपिन कुमार को इस बारे में मैसेज किया। तो पलट कर उनका जबाब आया।
डीसीएम ने एट के अभद्र कर्मचारी के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। उधर स्थानीय पत्रकारों ने रेल मंत्री से इस मामले को सीधे संज्ञान में लेने की अपील की है।