अनूपपुर (मध्य प्रदेश राजेश शिवहरे) डी.सी.सागर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, शहडोल, जोन, छात्र- छात्राओं के उत्साहवर्धन के लिए दिए गए उद्बोधन को जनहित में सार्वजनिक करता हूं। सेंट जोसेफ कॉन्वेंट स्कूल, कोतमा, अनूपपुर में वार्षिक उत्सव के अवसर पर 16 दिसम्बर, 2023 को दिए गए प्रेरणास्पद उद्बोधन के प्रमुख अंश:
1) हमारे देश के पावन ग्रंथ रामचरितमानस के “विजय रथ” का संदर्भ :
छात्र-छात्राओं एवं शिक्षक-शिक्षिकाओं से विनम्र आग्रह है कि हमारे देश के पावन ग्रंथों जैसे- रामचरित मानस, रामायण, श्रीमद्भगवद्गीता आदि को पढ़ने से आत्मबल और जीवन में आने वाली चुनौतियों एवं विविध विषमताओं पर सफलतापूर्वक विजयी होने की सही रणनीति मिलती है। उदाहरणार्थ- रामचरितमानस के लंकाकाण्ड की यह चौपाई :-
सौरज धीरज तेहि रथ चाका।
सत्य सील दृढ़ ध्वजा पताका ।।
बल बिबेक दम परहित घोरे।
छमा कृपा समता रजु जोरे ।।
इस चौपाई का भावार्थ यह है कि एक ओर रावण रथ में सवार होकर युद्ध के लिए तैयार रहता है और दूसरी ओर भगवान श्री राम बिना रथ के पैदल ही युद्ध के मैदान में होते हैं। ऐसी स्थिति में विभीषण भगवान श्री राम से पूछते हैं कि आप युद्ध में कैसे जीत पायेंगें? तब श्रीराम जी उनसे कहते हैं कि शौर्य और धैर्य उस रथ के पहिए हैं। सत्य और शील (सदाचार) उसकी मजबूत ध्वजा और पताका हैं। बल, विवेक, दम (इंद्रियों का वश में होना) और परोपकार- ये चार उसके घोड़े हैं, जो क्षमा, दया और समता रूपी डोरी से रथ में जोड़े हुए हैं। प्रिय छात्र-छात्राओं, जब यह सभी प्रवृत्तियां आपके चरित्र में, आपके व्यक्तित्व में होंगी, तब आपको विजयी होने से जिंदगी में कोई नहीं रोक सकता। आप अपने जीवन में अजेय रहोगे। इसलिए हमें ज्ञानवर्धक और प्रेरक महाकाव्य रामचरितमानस/ रामायण आदि का अध्ययन करना चाहिए और अपने छात्र जीवन में सच्ची सीख को व्यवहार में लाना चाहिए।
2) वर्तमान में छात्र-छात्राओं की जिंदगी में घनीभूत विकर्षण (distractions) हैं :
यानि एकाग्रता भंग करने वाली बहुत से तत्व हैं, जैसे – सोशल मीडिया, इंटरनेट, ऑन लाईन गेम्स, ओटीटी- नेटफिलिक्स आदि, जो आपकी एकाग्रता को भंग करते हैं और सफलता से दूर ले जाती हैं। अत: कम्प्यूटर और इंटरनेट का सदुपयोग ही करना चाहिए अन्यथा आप इसके नशे का शिकार होकर अपना छात्र जीवन नष्ट-भ्रष्ट कर बैठते हो।
3) स्वास्थ्य-प्रेम और आईना:
छात्र-छात्राओं को स्वास्थ्य के प्रति सजग होना भी बहुत जरूरी है। आजकल बच्चों में जंक फूड खाने की प्रवृत्ति अधिक है, जो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह है। इसलिए स्वस्थ रहने के लिए सही चीजें यानि स्वास्थ्यवर्धक एवं पौष्टिक आहार खाना चाहिए और नियमित व्यायाम करना चाहिए। आईने से रोज़ पूछें कि क्या मैं फिट हूं? यदि आईना बोले कि हां, तो ठीक है, मेहनत करते रहिए। यदि आईना बोले कि तुम अनफिट हो, तो आईने को तोड़ना नहीं बल्कि उसे सच बोलने के लिए और अच्छी तरह से साफ करना। “ज़िन्दगीभर यही गलती करते आया गालिब, धूल थी चेहरे पर, आईना साफ करता रहा। ” अर्थात, स्वयं के उत्थान हेतु पूर्ण निष्ठा से योजनानुसार सटीक दिशा में कठोर परिश्रम करें। स्वयं से प्यार करें और उसकी उत्कृष्टतापूर्वक देखभाल करें।
4) लिख-लिखकर अध्याय का अध्ययन कर मॉक-टेस्ट :
प्रिय छात्र-छात्राओं, विद्यालय में विषयों का ध्यानपूर्वक एवं समझकर अध्ययन करना चाहिए। विषय सामग्री को लिख-लिख कर पढ़ना चाहिए। इसके साथ ही अध्याय को घर से पढकर जाना चाहिए और विद्यालय में पढ़ाए गए अध्याय को घर वापस आकर अध्ययन एवं मनन करना चाहिए। पढ़ें और जो पढ़ा है उसका मॉक-टेस्ट नियमित रूप से लें।
आपको विज़न, मिशन एवं टारगेट की पूर्ति के लिए लगन से अनवरत् अथक परिश्रम करना चाहिए तभी आप सफलता के उच्चतर शिखर पर पहुंच सकेंगे।
5) असफलता एक सफलता का सशक्त अवसर:
प्रिय विद्यार्थीगण, यदि आपको जिंदगी में कभी असफलता मिलती है तो आपको निराश नहीं होना है और पुन: हिम्मत, धैर्य से मेहनत करके अपनी कमियों को दूर करते हुए सफलता की सीढियां चढ़ना है :-
असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम।।
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती।
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।। (डॉ. हरिवंशराय बच्चन जी)
6) रंगमंच की तरह पढ़ाई भी करो :
वार्षिक उत्सव में छोटे-छोटे बच्चों ने मनमोहक सांस्कृतिक प्रस्तुति दी। आपके द्वारा एकलव्य की धनुर्विद्या पर आधारित नाटिका का मंचन किया गया, जो सराहनीय रहा। सोशल मीडिया की लत, सायबर फ्रॉड, आर्टिफिशल इंटेलीजेंस विषय पर भी ज्ञानवर्धक प्रस्तुतियां दी गईं। इस संदर्भ छात्र-छात्राओं को प्रेरित करने के लिए परम श्रद्धेय भूतपूर्व प्रधानमंत्री जी, भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी की ”मौत से ठन गई” कालजयी कविता प्रासंगिक हैं :-
हर चुनौती से दो-दो हाथ मैंने किए, आंधियों से जलाए हैं बुझते दिये …
पार पाने का क़ायम मगर हौसला, देख तेवर तूफ़ाँ का, तेवरी तन गई, मौत से ठन गई।
7) प्रेरणा और परिश्रम :
प्रिय मित्रों, सफलता के उच्चतम शिखर पर पहुंचने के लिए इच्छाशक्ति और लगनशीलता के साथ सही दिशा में अथक परिश्रम बहुत जरूरी है। इसलिए आपके उत्साहवर्धन के लिए पेश है – परम श्रद्धेय भूतपूर्व प्रधान मंत्री जी, भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी की यह कालजयी कविता :-
टूटे हुए सपने की सुने कौन सिसकी
अंतर को चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी
हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा
काल के कपाल पर लिखता-मिटाता हूं
गीत नया गाता हूं ।
8) प्रेरक कवितायें :- यहां प्रस्तुत है और भी प्रेरणा से ओतप्रोत प्रसिद्ध कविताएं :
‘’नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है, …. कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।‘’
“तू खुद की खोज में निकल, तू किस लिए हताश है, ….
तू चल तेरे वजूद की, समय को भी तलाश है।‘’
(हबीब तन्वी)
“वृक्ष हों भले खड़े, हों घने हों बड़े, …. अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।“
(डॉ. हरिवंशराय बच्चन जी)
अंत में, मैं आपसे अधिकारपूर्वक आग्रह करता हूँ कि हमारे देश के पावन ग्रंथ रामायण और रामचरितमानस के विजय-रथ के प्रेरणास्पद संदर्भ को अवश्य पढ़ें और अपने छात्र- जीवन में आत्मसात कर विजयश्री प्राप्त करें।
—-