एनआरसी को लेकर शाह और राजनाथ के बयान मे फर्क क्यो?

नई दिल्ली 31 जुलाईः असम मे हुयी गणना के बाद 40 लाख लोगो  के अवैध होने का मामला गर्माता जारहा है। सत्ता और विपक्ष मे इस मुददे पर ठन गयी है। राज्यसभा मे सांसद अमित शाह ने कांग्रेस को घेरा, तो राजनाथ सिंह ने सदन मे इस मुददे पर सरकार का पक्ष रखा। दोनो  के बयान मे काफी फर्क है। आखिर ऐसा क्यो?

अमित शाह ने आज राज्यसभा में अपने बयान में 1985 के असम एकॉर्ड का हवाला देते हुए कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ही इसे लेकर आए थे लेकिन कांग्रेस के पास इसे लागू करने की हिम्मत नहीं थी. शाह ने विपक्षी सांसदों पर निशाना साधते हुए कहा कि 40 लाख घुसपैठियों को कौन बचाना चाहता है. इस बयान के बाद सदन में जोरदार हंगामा हुआ और कार्यवाही पूरे दिन के लिए ठप हो गई.

गौर करने वाली बात ये है कि बीजेपी अध्यक्ष ने संसद में जो बयान दिया वह उन्हीं की पार्टी के सांसद और देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बयान से ठीक उलट है. राजनाथ ने एनआरसी के फैसले को राजनीति से प्रेरित न बताते हुए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इसका ड्राफ्ट लाने की बात कही थी.

राजनाथ ने क्या कहा था?

सोमवार को ही लोकसभा में विपक्ष के आरोपों पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘मैं स्पष्ट करना चाहता हूं अध्यक्ष महोदया, सरकार ने उसमें कुछ भी नहीं किया, जो कुछ भी काम चल रहा है वह सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रहा है. बार-बार यह कहना कि सरकार ने ये कर दिया, सरकार बड़ी निर्मम हो गई है, इस प्रकार के आरोप बेबुनियाद हैं.’

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