लखनऊ | जमीन के विवाद को लेकर एससी एसटी एक्ट के तहत झूठा मुकदमा दर्ज करने वाली मदेयगंज निवासी शकुंतला देवी को एससी एसटी एक्ट के विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने 3 साल कैद की सजा सुनाई| कोर्ट ने अपने आदेश की प्रति पुलिस कमिश्नर और जिलाधिकारी को भेजते हुए कहा कि अगर शकुंतला देवी को इस मामले में सरकार से कोई राहत राशि या मुआवजा मिला है तो उसे तुरंत वापस लिया जाए |
शकुंतला देवी ने अहमद हसीबुल, अमिताभ तिवारी, तारा बाजपेई, वशिष्ठ तिवारी सहित अन्य पर आरोप लगाया था कि उन्होंने 2 फरवरी 2024 को उनके मकान पर कब्जा कर लिया और उन्हें धमकी दी एवं मारपीट की| शकुंतला ने सभी के खिलाफ वजीरगंज थाने में एससी एसटी एक्ट की धाराओं में प्राथमिकी की दर्ज कराई थी|
जांच के दौरान एसपी चौक ने पाया कि ग्राम खारिया सेमरा में 2000 वर्ग फीट जमीन का विवाद दोनों पक्षों में था | उसे मकान पर एक आरोपी हसीबुल रहमान का कब्जा था | घटना वाले दिन आरोपियों की मौजूदगी मौके पर नहीं थी| खुद वादिनी शकुंतला देवी भी उसे समय घटनास्थल से दूर केसर बाग में थी | एक आरोपी वशिष्ठ तिवारी की तो 2014 में ही मृत्यु हो चुकी थी, फिर भी उनका नाम एफआईआर में दर्ज किया गया था|
जांच में मामला झूठा साबित होने पर पुलिस ने आरोपियों पर लगा कैसे खत्म कर दिया | और शकुंतला देवी के खिलाफ कार्रवाई के लिए मामला कोर्ट भेज दिया |
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एससी- एसटी एक्ट का झूठा केस करने पर महिला को 3 साल कैद की सजा
