नई दिल्ली स्थित अपने सरकारी आवास पर उन्होंने सुबह 7 बजे आखिरी सांस ली। फर्नांडिस अल्जाइमर बीमारी से पीड़ित थे।
उनकी मौत ने हम लोगों को अंदर तक झिंझोड़ दिया।
गौरतलब है कि तीन जून 1930 को कर्नाटक में जन्मे जॉर्ज फर्नांडिस ने अपने सियासी सफर की शुरुआत ट्रेड यूनियन नेता के रूप में की।
जॉर्ज फर्नान्डिस एक भारतीय राजनेता थे। वे श्रमिक संगठन के भूतपूर्व नेता, तथा पत्रकार थे। वे राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं। उन्होंने समता मंच की स्थापना की। वे भारत के केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में रक्षा मंत्री, संचारमंत्री, उद्योगमंत्री, रेलमंत्री आदि के रूप में कार्य कर चुके हैं।
यह हमारी ख़ुशक़िस्मती है कि कामरेड जार्ज फर्नांडिस, लाडली मोहन निगम, डा.सुशीला नैयर, सुरेन्द्र मोहन, जार्ज के भाई माइकल फर्नांडिस, डा.शांति पटेल और के.ए.ख़ान जैसे खाटी के समाजवादियों के साथ काम करने और सीखने का मौक़ा मिला।
हमें अच्छी तरह याद है कि 15 अप्रैल 1984 को भेल झांसी में श्रमिक सम्मेलन में भाग लेकर जार्ज फर्नांडिस आधी रात के बाद ग्रांट ट्रंक एक्सप्रेस से दिल्ली लौट रहे थे। गाड़ी के इंतज़ार में जार्ज आम आदमी की प्लेटफार्म की बैंच पर बैठे रहे। VIP प्रतीक्षालय का इस्तेमाल नहीं किया। साथ ही सभी साथियों को नारे लगाने से मना करदिया। कहा कि मुसाफिरों की नींद ख़राब होगी।
उन्होंने सादा जीवन और उच्च विचार को महत्व दिया और आपातकाल और उसके बाद भी लोकतंत्र के चैंपियन के रूप में उभरे।
हम सभी समाजवादी उन्हें हमेशा याद करेंगे।
कामरेड जार्ज फर्नांडिस को लाल सलाम। हार्दिक श्रृध्दांजलि।
सैयद शहनशाह हैदर आब्दी
समाजवादी चिंतक – झांसी।