झांसी 11 सितम्बरः आपातकाल लगने के बाद सत्ता से बाहर हुयी तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी ने अपना राजनैतिक विजय अभियान कैसे शुरू किया। इसको लेकर बहुत सारे किस्से हैं। एक किस्सा हम आपको बता रहे हैं। बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि इंदिरा गांधी जब झांसी मे काली मंदिर आयी, तो क्या हुआ था? उन्हे कैसे जीत का वरदान मिला था?
मंदिर मे सादगी से पहुंची थी इंदिरा
सत्ता से बाहर हुयी इंदिरा गांधी का देश मे बहुत रूतबा और इज्जत थी। वो सभी को साथ लेकर चलने की कला में माहिर तो थी ही, साथ ही दूसरो के सामने अपने बड़पप्पन को नहीं दिखाती थी। यही कारण रहा कि जब वो मंदिर मे पहुंची, तो एक साधारण इंसान की तरह। पुजारी जी स्व. पं. प्रेमनारायण शास्त्री ने उन्हे आसन दिया, लेकिन उन्हांेने यह कहकर मना कर दिया कि आपके चरण मे ही हमारा स्थान है।
जीत के लिये मंत्र शास्त्री ने किया था विशेष उपाय
वैसे तो इंदिरा गांधी काली मंदिर के दर्शन करने आयी थी, लेकिन उन्हे पता था कि मंदिर के पुजारी पं. प्रेमनारायण त्रिवेदी मंत्र शास्त्री के पास अथाह शक्तियां थीं। उन्हे मां काली का विशेष आशीर्वाद प्राप्त था। यही कारण रहा कि मंदिर मे जब वो पूजा कर रही थी, उस दौरान मंत्र शास्त्री ने विशेष पूजा की थी। जानकार बताते है कि मंत्र शास्त्री ने अपनी असीम शक्तियों का प्रयोग किया था, जिसके चलते इंदिरा को विजयी आशीर्वाद प्राप्त हुआ।
मंदिर मे है साक्षात काली मां का डेरा
झांसी शहर मे बसे काली मंदिर का विशेष महत्व है। पूरे देश मे यह इकलौता कालीमाता का मंदिर है, जहां मां साक्षात निवास करती हैं। मंदिर परिसर मे आने वाले श्रद्वालुओ की मनोकामना पूरी होती है। लक्ष्मीतालाब के पास स्थित मंदिर का ऐतिहासिक महत्व है। मंदिर मे काली जी की पूजा अर्चना करने वाले पं. प्रेमनारायण त्रिवेदी ने कड़ी साधना की थी। उन्हे मंत्र सिद्व थे। वह मंत्र के जरिये भूत व भविष्यकाल की बाते बता सकते थे। यही कारण था कि असंख्य लोग उन्हे अपना गुरू मानते हैं।
फिर इंदिरा ने कभी हार नहीं मानी!
मंदिर मे आने के बाद से इंदिरा गांधी को मां काली का आशीर्वाद तो मिला ही, साथ ही मंत्र शास्त्री प्रेमनारायण त्रिवेदी का भी आशीर्वाद मिला। इसके बाद उन्होने राजनैतिक क्षेत्र मे कभी हार नहीं मानी। वह हर मोर्चे पर सफल रहीं। मां काली का आशीर्वाद ही रहा कि उन्हे आज भी लोग याद करते हुये उनकी झांसी की स्मृतियों को भुला नहीं पाते हैं।