*कोंच (जालौन)।* यहां निकटवर्ती गांव चांदनी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिवस कथा व्यास महामंडलेश्वर स्वामी शांति स्वरूपानंद गिरि महाराज ने भगवद्भक्ति का महात्म्य बताते हुए भक्त प्रह्लाद की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि हिरण्यकश्यप महान पापी दैत्य था जो गाय, ब्राह्मण, संत और देव पुरूषों पर अत्याचार करता था लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद उतना ही धर्मनिष्ठ और श्रीहरि विष्णु का परम भक्त था जिसके कारण उनके पिता ने उन्हें मरवाने के तमाम यत्न किए। प्रह्लाद को उनकी विष्णु भक्ति से किंचित भी विचलित नहीं कर पाया हिरण्यकश्यप। उसके बढ़ते अत्याचार देख अंततः श्रीहरि विष्णु ने नृसिंह अवतार धारण कर हिरण्यकश्यप को मोक्ष प्रदान किया।
कथा व्यास ने परमात्मा के विभिन्न अवतारों की कथायें सुना कर श्रोता समुदाय को भाव विभोर कर दिया। उन्होंने संत सेवा का महात्म्य बताते हुये कहा कि संतों, ब्राह्मणों और गो की सेवा करने का पुण्यफल अवश्य ही प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि संतों और गुरुओं का कभी निरादर नहीं करना चाहिए। बीच बीच संगीतमय भजनों पर श्रोता झूम उठे। उन्होंने कहा कि जब प्राणि के मन में यह भाव रहता है कि जो कुछ भी करना है प्रभु के लिए ही करना है, जीव का एकमात्र आश्रय परमात्मा ही है तो परमात्मा उसे अपना बनाने में तनिक भी देर नहीं लगाते हैं। भगवान इतने दयालु हैं कि बिना बुलाए ही वह भक्तों पर कृपा करने पहुंच जाते हैं। अंत में कथा परीक्षित मृदुला द्विवेदी ने भागवत जी की आरती उतारी, प्रसाद वितरित किया गया।
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कोंच: पुत्र की भगवद्भक्ति ने पापी पिता को भी मोक्ष प्रदान कराया-शांति स्वरूपानंद
