कोंच-सारी दुनिया में लडी जा रही, अंधेरों के खिलाफ लडाई – प्रदीप जैन आदित्य, रिपोर्ट-नवीन कुशव

कोंच- 03 जुलाई।- भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) कोंच इकाई द्वारा श्री अमरचन्द्र महेश्वरी इण्टर काॅलेज, कोंच में आयोजित 19वीं ग्रीष्मकालीन निःशुल्क बाल एवं युवा रंगकर्मी नाट्य प्रशिक्षण कार्यशाला का प्रस्तुतिकरण एवं सम्मान समारोह श्री टी. डी. वैद स्मृति रंगमंच स्थल’’(श्री अमरचन्द्र महेश्वरी इण्टर काॅलेज, कोंच) में पूर्व केन्द्रीय ग्रामीण राज्य मन्त्री भारत सरकार श्री प्रदीप जैन ‘‘आदित्य’’ के मुख्य आतिथ्य में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए पूर्व मन्त्री प्रदीप जैन आदित्य ने कहा कि आज सारी दुनिया में अंधेरों के खिलाफ लडाई लडी जा रही है। अंधेरा दूर करने के लिए संगठन बहुत जरुरी है। समाज के विद्रूप रुप को केवल साहित्य, कला और संस्कृति ही ठीक कर सकती है। समाज में जो सामाजिक बुराईयां पनप रही है, उसके पीछे केवल मानवीय मूल्यों के बदलते अर्थ है।
मुख्य अतिथि प्रदीप जैन ने कहा कि अंधेरे के खिलाफ जंग में हमें झुकना नहीं चाहिए, हमें हमेशा अपने उसूलों पर कायम रहना चाहिए। सत्य के साथ हमें हमेशा खडे रहना चाहिए। रंगकर्मियों को चाहिए कि हमेशा सत्य के साथ खडे रह कर अंधेरों के खिलाफ जंग लडे।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए सब टी0 वी0 पर प्रसारित होने वाले धारावाहिक ‘‘चिडियाघर’’ के कलाकार व सुप्रसिद्ध कला निर्देशक मणिरत्नम् निर्देशित फिल्म रावण के प्रमुख पात्र व वरिष्ठ रंगकर्मी श्री आरिफ शहडोली ने कहा कि वैश्वीकरण, उदारीकरण और निजीकरण के दौर में समाज का जब कोई क्षेत्र अछूता नहीं रहा, तो कला और संस्कृति में भी पवित्रता संभव नहीं है। समाज और सामाजिक घटनाओं से लेखक की कलम प्रभावित है। सामाजिक संस्कृति का एकरुप फिल्मों एवं टी. वी. में भी दिखाया जाता है। फिल्मों और टी.वी. के किरदार कहीं न कहीं हमारे समाज का हिस्सा ही है। उन्होनें इप्टा के कलाकारों की हौसलाअफजाई करते हुए कहा कि वे कभी जीवन में हार न मानें, हमेशा बडे सपने देखें और पूरा करने की भरपूर कोशिश करें।
वहीं सलमान खान अभिनीत फिल्म ट्यूबलाइट के सह अभिनेता व जाने माने रंगकर्मी अमरनाथ कुशवाहा ने कहा कि जीवन एक रंगमंच है। हम सब इसके पात्र है। रंगकर्मी नाटक के माध्यम से जीवन के हर पहलू को दर्शाये और समाज को बेहतर से बेहतर बनाने का प्रयास करें। उन्होनें कहा कि हम जिस भी विधा में जाना चाहते हैं, उसकी सम्पूर्ण शिक्षा प्राप्त करें और मेहनत व लगन के माध्यम से आगे बढे।
इप्टा के कलाकारों की प्रस्तुतियों की सराहना करते हुए इण्डियन डेण्टल एसोशियेसन, उ. प्र. के पूर्व अध्यक्ष डाॅ. विजय भारद्वाज ने कहा कि विश्वास नहीं होता है कि इतनी बेजोड प्रतिभायें कोंच में है, इप्टा के द्वारा हुनर को तराशा गया, यह प्रशंसनीय है। वहीं चम्बल इण्टरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के संयोजक व मशहूर वृत्त चित्र निर्माता व सामाजिक कार्यकर्ता शाह आलम ने कहा कि बुन्देलखण्ड के चम्बल क्षेत्र ने आजादी के आन्दोलन में देश को रास्ता दिखाया, आज भी सत्ता, प्रशासन और राजनीति का गठजोड इस क्षेत्र को विकास के रास्ते पर नहीं आने दे रहा है। कलाकार अपनी कला, लेखक अपनी कलम से जनता को जगाने का काम करें।
सेवानिवृत्त आर. ई. एस. शम्भूदयाल चैधरी ने जब तक सत्ता की जबाबदेही तय नहीं होगी, तब तक विकास नहीं होगा, जब तक विकास नहीं होगा, तब तक समाज में शान्ति नहीं होगी। समाज में शान्ति बनाये रखने में कलाकारों की अहम् भूमिका होती है, जिसे इप्टा पूर्ण जिम्मेवारी से निभा रही है।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए नगर पालिका परिषद कोंच की अध्यक्ष डाॅ. सरिता आनन्द अग्रवाल ने कहा कि समाज पर जब-जब विपत्ति आई है, लेखकों, साहित्यकारों और रंगकर्मियों ने ही समाज को रास्ता दिखाया है। आज के इस दौर में भी संस्कृतिकर्मियों का सांझा मोर्चा बने और समाज की समस्याओ को दूर करने की पहल की जाये।
कार्यक्रम को उरई इप्टा के अध्यक्ष देवेन्द्र शुक्ला, महासचिव राज पप्पन, झांसी इप्टा के अध्यक्ष डाॅ0 मोहम्मद इकबाल खान, डी0 वी0 काॅलेज उरई के पूर्व प्राचार्य व प्रख्यात मनोवैज्ञानिक डाॅ0 ए0 के0 श्रीवास्तव, वरिष्ठ समाजसेवी के. के. गहोई, वामपंथी चिंतक रामकृष्ण शुक्ला, वरिष्ठ पत्रकार व ए.डी.आर. के प्रदेश समन्वयक अनिल शर्मा, वरिष्ठ संगीतकार सुरेन्द्र सिंह, बुन्देली फिल्मों के निर्माता अजय साहू आदि ने विशिष्ट अतिथि के रुप में कार्यक्रम सम्बोधित किया।
इससे पूर्व इप्टा कोंच इकाई के संस्थापक अध्यक्ष व उ. प्र. इप्टा के सचिव डाॅ. मुहम्मद नईम ने इप्टा के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इप्टा देश का पहला संास्कृतिक आन्दोलन है, जिसका जन्म बंगाल के अकाल के बाद हुआ। आज भी इप्टा अपनी सामाजिक जिम्मेवारियों का निर्वहन करते हुए राष्ट्रीय एकता और अखण्डता के लिए प्रयास कर रही है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए इप्टा कोंच के संरक्षक अनिल कुमार वैद ने सभी का आभार जताया और इप्टा के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए कि जिस प्रकार उनके पिता काम. टी. डी. वैद अन्तिम संास तक इप्टा से जुडे रहे, वह भी जीवन पर्यन्त इप्टा से जुडे रहकर नई-नई प्रतिभाओं को कार्यशालाओ के माध्यम से बेहतर मंच प्रदान करने में सहयोग करेंगें।
कार्यक्रम का प्रारम्भ समस्त अतिथियों द्वारा इप्टा कोंच के संस्थापक संरक्षक कामरेड टी. डी. वैद व साहित्यकार रामरुप स्वर्णकार पंकज के चित्र पर माल्यार्पण कर तथा द्वीप प्रज्जवलित कर किया गया, तत्पश्चात् इप्टा रंगकर्मियों द्वारा इप्टा गीत ‘‘बजा नगाडा शान्ति का, शान्ति का, शान्ति का, प्रस्तुत कर कार्यक्रम का आगाज किया। अतिथियों का स्वागत बैच अलंकरण कर अनिल कुमार वैद, डाॅ. मुहम्मद नईम, राशिद अली, भास्कर गुप्ता, रामकिशोर कुशवाहा, पारसमणि अग्रवाल, ट्रिंकल राठौर, विशाल याज्ञिक, अंकुल राठौर, अमन अग्रवाल, अमन खान, आशीष सोनी, भानु कुशवाहा, योगवेन्द्र कुशवाहा, आदर्श कुमार, कोमल अहिरवार, साहना खान, हिमांशु राठौर, राहुल कश्यप सहित रंगकर्मियों द्वारा किया गया।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में रंगकर्मियों शाहना खान, प्रिंन्सी, कोमल, तययबा, पूजा पटेल ने स्वागत गीत ‘‘सुनी जो उनके आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने’ प्रस्तुत किया, तत्पश्चात् स्व. श्री टी. डी. वैद जी, श्री रामरुप स्वर्णकार ‘‘पंकज’’, श्री भवानीशंकर लोहिया ‘‘बन्धु’’, श्री मुस्तफा खां ‘‘दीवाना जी’’ को श्रद्धांजलि स्वरुप ट्रिंकल राठौर, तययबा द्वारा श्रद्धांजलि गीत ‘‘चिट्ठी न कोई संदेश, न जाने कौन से देश, कहां तुम चले गये’’ प्रस्तुत किया। पंजाबी लेखक गुरुशरण सिंह द्वारा लिखित नाटक ‘‘जब रोशनी होती है’’ के माध्यम से रंगकर्मियों अमन अग्रवाल, समर्थ बाजपेई, अमन खान, योगवेन्द्र कुशवाहा, अभिलाषा पटेल, तययबा, पूजा पटेल, सत्यम् चैरसिया, नेहा पटेल, रक्षा पटेल, रिया यादव ने सत्ता और धर्म के अन्दरुनी गठजोड को उजागर कर अन्धविश्वास व कट्टरता से दूर करने का आव्हान दर्शकों से किया।
वहीं रंगकर्मियों ट्रिंकल राठौर, विशाल याज्ञिक, समर्थ बाजपेई, राज खरे, राज शर्मा, आदर्श कुमार, युनूस मंसूरी, शैंकी यादव, पूजा पटेल, अंकिता राठौर, कोमल अहिरवार, अभिलाषा पटेल, साहना खान द्वारा जनगीत ‘‘तू जिन्दा है, तो जिन्दगी की जीत में यकीन कर’’ की मनमोहक प्रस्तुति दी।
बुन्देली लोक संस्कृति पर आधारित लोक नाटिका लाला हरदौल की संगीतमयी प्रस्तुति के माध्यम से रंगकर्मियों राज शर्मा, अंकिता राठौर, प्रिया बाथम, शैंकी यादव, अंशिका राठौर, राज खरे, खुश्बू, स्नेहा अग्रवाल, रामजी अग्रवाल, हर्ष साहू, प्रिन्सी यादव, रामजी चतुर्वेदी ने दर्शकों को अनवरत् तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। नाटक के मार्मिक दृश्यों पर महिलायें अपने आंसू नहीं रोक पाई। वहीं प्रख्यात रंगकर्मी सफदर हाशमी की मूल रचना औरत पर आधारित नाटक ने समाज में महिलाओं और बेटियों के साथ अभद्रता, अश्लीलता, छेडछाड, एसिड अटैक, घरेलू ंिहंसा आदि की घटनाओं को अत्यन्त मार्मिक ढंग से प्रदर्शित किया। नाटक में रंगकर्मियों आस्था बाजपेई, अंकुल राठौर, विशाल याज्ञिक, समर्थ बाजपेई, कोमल अहिरवार, तययबा, मो. दानिश, गोल्डी पटेल, युनूस मंसूरी, योगवेन्द्र कुशवाहा, साहना खान, अभिलाषा पटेल, राहुल कश्यप ने अपने सशक्त अभिनय से व नाटक के अन्तिम दृश्य से दर्शकों को करुणामय कर दिया।
प्रख्यात लेखक व संस्कृतिकर्मी शिवराम द्वारा लिखित नाटक ‘‘जमीन’’ के माध्यम से रंगकर्मियों तान्या अग्रवाल, विशाल याज्ञिक, प्रिन्सी अग्रवाल, आदर्श कुमार, मो. कैफ मंसूरी, युनूस मंसूरी, कोमल अहिरवार, साहना खान, हनी अग्रवाल, समर्थ बाजपेई, अमन खान, मो. दानिश ने पट्टे की जमीन पर कब्जे को लेकर वर्ग संघर्ष की घटना व उससे उपजे हालातों का सजीव चित्रण किया। रंगकर्मियों ने संदेश दिया कि संगठन की ताकत के बल पर अपने अधिकारों को हासिल किया जा सकता है। रंगकर्मियों ट्रिंकल राठौर, विशाल याज्ञिक के संयोजन में समस्त रंगकर्मियों द्वारा प्रख्यात गीतकार ओमप्रकाश नदीम द्वारा लिखित इप्टा प्लैटिनम जुबली ‘‘दोस्तो इप्टा का है, ये प्लैटिनम जुबली का साल’ प्रस्तुत किया। वहीं डाॅ. शगुफ्ता मिर्जा द्वारा प्रस्तुत ‘‘सूफियाना कलाम ‘‘दमादम मस्त कलंदर’’ की प्रस्तुति के माध्यम से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।

कार्यक्रम के द्वितीय चरण में सम्मान अलंकरण समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें श्री टी. डी. वैद स्मृति जनसंस्कृति सम्मान 2018 श्री रामकृष्ण शुक्ला को व श्री टी. डी. वैद स्मृति जनसंस्कृति सम्मान 2019 हरगोविन्द कुशवाहा को दिया गया।
नाट्य लेखन हेतु प्रो0 जीतेन्द्र रघुवंशी स्मृति नाट्य लेखन सम्मान 2018 ओमप्रकाश ‘नदीम’ को तथा प्रो0 जीतेन्द्र रघुवंशी स्मृति नाट्य लेखन सम्मान 2019 आरिफ शहडोली को दिया गया। जबकि नाट्य निर्देशन हेतु वर्ष 2018 का श्री जुगलकिशोर स्मृति नाट्य निर्देशक सम्मान, पुष्पेन्द्र सिंह को व वर्ष 2019 का श्री जुगलकिशोर स्मृति नाट्य निर्देशक सम्मान, राहुल कश्यप को प्रदान किया गया। संगीत हेतु वर्ष 2018 का डाॅ0 वीणा श्रीवास्तव स्मृति संगीत सम्मान, सुश्री निहारिका मिश्रा को व वर्ष 2019 का डाॅ0 वीणा श्रीवास्तव स्मृति संगीत सम्मान, डाॅ. शगुफ्ता मिर्जा को डाॅ0ए0के0श्रीवास्तव जी द्वारा प्रदान किया गया।
वहीं वर्ष 2018 का श्रीमती शान्ति देवी जैन स्मृति समाजसेवी सम्मान, के. के. गहोई को तथा वर्ष 2019 के लिए श्रीमती शान्ति देवी जैन स्मृति समाजसेवी सम्मान, श्री अनिल शर्मा जी को मुख्य अतिथि श्री प्रदीप जैन जी द्वारा प्रदान किया गया।
इप्टा कोंच द्वारा रंगकर्मियों को सम्मानित किये जाने की श्रंखला में वर्ष 2018 कु0 मिताली दुबे स्मृति रंगकर्मी सम्मान कु0 वर्षा कुशवाहा को तथा वर्ष 2019 का कु0 मिताली दुबे स्मृति रंगकर्मी सम्मान कु0 प्रिया बाथम को श्री रजनीकान्त द्विवेदी द्वारा प्रदान किया गया। वहीं जीतआनन्द ‘‘जीत’’ कुशवाहा स्मृति रंगकर्मी सम्मान 2018 से आदर्श कुमार को व वर्ष 2019 के लिए जीतआनन्द ‘‘जीत’’ कुशवाहा स्मृति रंगकर्मी सम्मान विशाल याज्ञिक को रामकिशोर कुशवाहा द्वारा प्रदान किया गया।
इप्टा कोंच के संस्थापक संरक्षक काम. टी. डी. वैद स्मृति रंगकर्मी सम्मान वर्ष 2018 हेतु राजेश राठौर, साहना खान, दानिश अहमद, तैययबा सिद्दीकी, समर्थ बाजपेई, राज शर्मा व योगवेन्द्र कुशवाहा को तथा वर्ष 2019 में सशक्त अभिनय हेतु श्री टी. डी. वैद स्मृति रंगकर्मी सम्मान राज शर्मा, अंकिता राठौर, अमन अग्रवाल, आस्था बाजपेई, अमन खान, पूजा पटेल व युनूस मंसूरी को अतिथियों द्वारा प्रदान किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि द्वारा समस्त रंगकर्मियों को सम्मानपत्र व स्मृति चिन्ह देकर प्रोत्साहित किया गया।
कार्यक्रम का समापन रंगकर्मियों द्वारा प्रस्तुत जनगीत ‘‘आजादी ही आजादी, हमारा हक है, आजादी’’ से किया गया।
कार्यक्रम का संचालन डाॅ. मुहम्मद नईम व अमन अग्रवाल द्वारा किया गया, अतिथियों का स्वागत संरक्षक अनिल कुमार वैद ने व आभार ट्रिंकल द्वारा व्यक्त किया गया।
इस अवसर पर बुन्देलखण्ड अधिकार मंच के संयोजक कुलदीप बौद्ध, बुन्देलखण्ड निर्माण मोचा के प्रवक्ता रघुराज शर्मा, क्रय विक्रस समिति कोंच के अध्यक्ष अनिरुद्ध सिंह, सूरज ज्ञान महाविद्यालय कोंच के प्रबन्धक अंकुर यादव, अमर चन्द्र इण्टर काॅलेज के प्रधानाचार्य ओमप्रकाश, मथुराप्रसाद महाविद्यालय कोंच के प्राध्यापक डाॅ. महेन्द्र नाथ मिश्रा, गांधी काॅलेज उरई के प्राध्यापक डाॅ. धर्मेन्द्र वर्मा, रंगकर्मी अमजद आलम, बुन्देली लोक कला विशेषज्ञ रमेश तिवारी, पी. डी. रिछारिया, बृजबल्लभ सिंह सेंगर, अखिल वैद, प्रभुदयाल गौतम, अनिल पटैरिया, जाहिद खान, अवधेश द्विवेदी एडवोकेट, पंकजाचरण बाजपेई, डाॅ. एल. आर. श्रीवास्तव, संजय सिंघाल, कढोरे लाल यादव, रविकान्त द्विवेदी, सैयद राशिद अली, भास्कर गुप्ता, विनोद अग्निहोत्री, विक्कू शुक्ला, आदित्य वैद, लाल सिंह यादव, लल्लूराम द्विवेदी, के.के.यादव, अरविन्द दीक्षित ऐडवोकेट, श्रीनारायण निरंजन, सुखलाल नायक, बादाम सिंह कुशवाहा, रविकान्त कुशवाहा, डाॅ. कौशलेन्द्र शुक्ला, मदन सीरौठिया, लक्ष्मण सिंघल, मुईनउद्दीन काजी, जगदीश अग्रवाल, राजीव अग्रवाल, संजय सोनी, अभिषेक रिछारिया, आदि सहित सैंकडों की संख्या में दर्शक उपस्थित थे।

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