भोपाल 4 अप्रैलः मप्र की शिवराज सरकार ने जिन पांच साधु सन्तो को राज्यमंत्री का दर्जा देकर सम्मान दिया है,उसको लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। इस मामले मे हाईकोर्ट मे याचिका दाखिल की गयी है। सवाल उठ रहा है कि शिवराज के लिये यह सम्मान फायदे का सौदा साबित हो या…?
मंगलवार को जारी आदेश पत्र के मुताबिक, मध्य प्रदेश के चिन्हित क्षेत्रों में, विशेषत: नर्मदा किनारे के क्षेत्रों में पेड़ लगाने, जल संरक्षण और स्वच्छता के विषयों पर निरंतर जागरुकता अभियान चलाने के लिए विशेष समिति का गठन किया गया है. सरकार ने समिति के शामिल 5 सदस्यों नर्मदानंदजी, हरिहरानंदजी, कंप्यूटर बाबाजी , भय्यूजी महाराज और योगेंद्र महंतजी को का दर्जा प्रदान किया है.
सरकार के फैसले की आलोचना भी की जा रही है. रामबहादुर शर्मा ने प्रदेश हाईकोर्ट के इंदौर बेंच में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है. याचिकाकर्ता रामबहादुर का कहना है कि सरकार द्वारा जिन 5 संतों को राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया, वे सरकार के खिलाफ आंदोलन चला रहे थे. अब सरकार ने अचानक उन्हें राजयमंत्री का दर्जा क्यों दिया और हमने राज्य मंत्री की संवैधानिकता को लेकर याचिका लगाई है और सरकार इस पर पुनर्विचार करे.