झांसीः क्या डमडम महाराज यानि बृजेन्द्र व्यास कांग्रेस मे आने के बाद नयी पारी की शुरूआत कर पाएंगे? यह हर किसी की जुबां पर है। बीते रोज कांग्रेस के उपवास कार्यक्रम मे नजर आये डमडम के चेहरे पर तनाव देखने के बाद लोग कहने लगे-महाराज कांग्रेस मे टिक पाएंगे?
बाजार मे डमडम को लेकर जिस तरह से राजनैतिक चर्चा हो रही है। उसमे यही कहा जा रहा है कि डमडम राजनैतिक पारी भी कपड़े की तरह बदलने के अंदाज मे खेलते है। यही कारण है कि उनका टिकना मुश्किल लगने लगता है।
डमडम के टिकने का ही नतीजा है कि जनता सिर माथे पर रखने से परहेज करने लगती। पुरानी अदा को भुलाकर जनता ने इस बार डमडम को मेयर चुनाव मे जीतने का पूरा मौका दिया था।
जीत भले की भाजपा प्रत्याशी की हुयी हो, लेकिन डमडम दूसरे नंबर पर आने के बाद लोगो के दिल मे उतरने का एहसास कराने मे सफल रहे थे।
लोगो को उम्मीद थी कि अब डमडम बसपा मे लंबी पारी खेलेगे और झांसी मे उन्हे अच्छा कद पाने मे सफलता मिलेगी।
लोगो के कयास और उम्मीदे उस पल धराशायी हो गयी, जबकि पता चला कि डमडम काग्रेस मे वापस आ गये हैं।
आश्चर्यजनक फैसले को डमडम के समर्थक भी नहीं पचा सके। इससे लोगो के दिमाग मे फिर वही सवाल उठा कि क्यो गरौठा की जनता डमडम को समर्थन देने से हिचकती है! झांसी की जनता के साथ भी दल बदलने की अदा दिखाकर डमडम ने अपने राजनैतिक करियर मे आने वाले सुनहरे पल को सवालो मे फंसा दिया है। इस बात का एहसास शायद डमडम को हो रहा होगा।
इन दिनो डमडम कहीं नजर नहीं आते। वैसे भी राजनैतिक परिदृश्य मे डमडम की मौजूदगी किसी खास मुददे या आयोजन के समय ही नजर आती है। जनता के मुददे उठाने मे डमडम हमेशा परहेज करते रहे। हां, पार्टी कार्यकर्ता या पार्टी आदेश पर कोई कार्यक्रम हुआ, तो डमडम जरूर पहुंच जाते।
जैसा कांग्रेस के उपवास मे दिखा। चंद कार्यकर्ताओ के बीच नजर आये डमडम के चेहरे पर भारी तनाव नजर आ रहा था। साफ है कि ना तो कांग्रेसी डमडम को पचा पा रहे और ना ही डमडम कांग्रेसियो को? अब किस मजबूरी मे डमडम ने कांग्रेस का दामन थामा, यह तो खुद डमडम या फिर वक्त बता सकता है, जिसका सभी को इन्तजार है।