गुरु और मित्र से कपट नहीं करना चाहिए : राधामोहनदास

गुरु और मित्र से कपट नहीं करना चाहिए : राधामोहनदास

झांसी।नोटक्षीर बनगुवां बरूआसागर स्थित गिरवरधारी जू महाराज के 25 वें पावन प्राकट्य महा महोत्सव एवं श्री हनुमंत महायज्ञ के उपलक्ष्य में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के अंतिम दिवस का प्रसंग सुनाते हुए कथा व्यास बुंदेलखण्ड धर्माचार्य राधामोहन दास महाराज ने कहा कि गुरु और मित्र से कभी कपट नहीं करना चाहिए अन्यथा उसका प्रारब्ध कभी ना कभी भोगना ही पड़ता है। उन्होंने कहा कि द्वापर युग में श्री कृष्ण अपने बालसखा सुदामा के साथ उज्जैन स्थित संदीपन गुरु के आश्रम में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे कि एक दिन यज्ञ की समिधा लेने श्रीकृष्ण के साथ जंगल जा रहे सुदामा को गुरु माता ने कुछ चने दिये थे कि भूख लगने पर दोनों खा लेना परन्तु जैसे श्रीकृष्ण सुदामा से कुछ दूर हुए कि सुनाया ने मौका देखकर गुरु मां के द्वारा दिये हुए चने अकेले ही खा लिये और श्रीकृष्ण के पूंछने पर कि क्या खा रहे हो?पर झूठ बोला दिया कि ठंड के कारण दांत किटकिटा रहा हूं।इसका कारण बताते हुए वे कहते हैं कि जब जब जीव परमात्मा से दूर होगा तब तब उसे भूख सतायेगी।कृष्ण उद्धव संवाद सुनाते हुए महंत जी ने कहा कि कृष्ण के मथुरा गमन के बाद बृजवासी दुखी हो जाते हैं ,उनके वियोग में सभी गोपियां व्याकुल हो जाती हैं, तो कृष्ण बृजमंडल की गोपियों को समझाने के लिए उद्धव को भेजते हैं किंतु प्रेम की बशीभूत गोपियां उद्धव से कहती हैं “ऊधौ मन न भये दस बीस, एक हतो सौ गयो श्याम संग को आराधे ईश”। इससे पूर्व महाराज श्री ने श्रीमद भागवत कथा के सभी प्रसंगों की सूक्ष्म चर्चा करते हुए कहा कि एक सप्ताह के सात दिन ही हम सबको भी मिले है,इन्हीं सात दिनों में रक्षा रुपी काल हम सबको डस लेगा इसलिए हमें अपना जन्म सुधारने के लिए प्रभु भक्ति के साथ साथ सदैव ऐसा प्रयास करते रहना चाहिये कि हमसे कोई ऐसा अनर्थ न हो जिससे किसी को कष्ट पहुंचे।
उन्होंने सुंदर भजन सुनाया” अरे द्वार पालो कन्हैया से कह दो कि दर पै सुदामा गरीब आ गया है।” जिसे सुन श्रोता खूब झूमे।
प्रात:कालीन बेला में यज्ञाचार्य अतुल लिटौरिया एवं उप यज्ञाचार्य रामनरेश लिटौरिया, मधुसूदन तिवारी,प्रकाशचंद्र उदैनिया,योगेश मिश्रा,पवन पाठक एवं सिद्धगोपाल द्विवेदी ने विधि विधान से वेदिका पूजन कराया तथा यजमानों ने यज्ञ में आहुतियां डलवायीं।
सायंकालीन बेला में भागवत का मूलपाठ कर रहे आचार्य रामलखन उपाध्याय एवं पं.अनिल तिवारी ने पुराण पूजन एवं व्यास पीठ का पूजन कराया तदुपरांत पारीछित श्रीमती विभा मृदुल तिवारी,ममता अजय अग्रवाल, दीर्घा विजय चौधरी, गीता राजेंद्र अग्रवाल, मुस्कान धीरज कुशवाहा, रमा आशाराम कुशवाहा, राजेश्वरी कोमल सिंह सिजरिया, जयकुंवर लालाराम कुशवाहा, सुनीता रामसिंह, फूलवती बृजमोहन साहू,रज़नी मारुति दीक्षित एवं गिरवरधारी जू मंदिर के पुजारी मदनमोहन दास एवं श्रीधामवृंदावन से पधारे राधाबल्लभ ने महाराजश्री का माल्यार्पण कर श्रीमद भागवत पुराण की आरती उतारी।रात्रि में श्रीधाम वृंदावन धाम से पधारे श्रीहितआदर्श कृष्णकला भक्तमाल भक्तमाल चरित्र रामलीला मंडल के कलाकारों ने रावण वध एवं श्रीराम राज्याभिषेक की लीला का मनमोहक मंचन किया।

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