गुरु और मित्र से कपट नहीं करना चाहिए : राधामोहनदास
झांसी।सिविल लाईन ग्वालियर रोड स्थित कुंजबिहारी मंदिर में चल रही श्रीमद भागवत कथा के अंतिम दिवस का प्रसंग सुनाते हुए कथा व्यास बुंदेलखण्ड धर्माचार्य राधामोहन दास महाराज ने कहा कि कलियुग तो भगवान के भक्तों का सेवक है। जो भगवान के भक्त हैं उन्हें कलियुग से डरने की जरुरत नहीं है।वे कहते हैं कि जो भगवान की भक्ति करते हैं उन्हें न तो बाहरी शत्रु और न ही भीतर के शत्रु जैसे काम, क्रोध,लोभ, मोह, अहंकार आदि कुछ भी नहीं बिगाड सकते हैं। कलियुग को रामानंदाचार्य का शिष्य बताते हुए वे कहते हैं जो परोपकारी,निर्मल स्वभाव और साधु संत स्वरुप हैं कलियुग उनका गुरु भाई होने के कारण उनका मददगार है। भगवान श्रीकृष्ण और उनके बाल सखा सुदामा के मार्मिक चरित्र का वर्णन करते हुए महंत ने कहा कि गुरु और मित्र से कभी कपट नहीं करना चाहिए अन्यथा उसका प्रारब्ध कभी ना कभी भोगना ही पड़ता है। उन्होंने कहा कि द्वापर युग में श्री कृष्ण अपने बालसखा सुदामा के साथ उज्जैन स्थित संदीपन गुरु के आश्रम में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे कि एक दिन यज्ञ की समिधा लेने श्रीकृष्ण के साथ जंगल जा रहे सुदामा को गुरु माता ने कुछ चने दिये थे कि भूख लगने पर दोनों खा लेना परन्तु जैसे श्रीकृष्ण सुदामा से कुछ दूर हुए कि सुदामा ने मौका देखकर गुरु मां के द्वारा दिये हुए चने अकेले ही खा लिये और श्रीकृष्ण के पूंछने पर कि क्या खा रहे हो? झूठ बोल दिया कि ठंड के कारण दांत किटकिटा रहा हूं।इसका कारण बताते हुए वे कहते हैं कि जब जब जीव परमात्मा से दूर होगा तब तब उसे भूख सतायेगी।कृष्ण उद्धव संवाद सुनाते हुए महंत जी ने कहा कि कृष्ण के मथुरा गमन के बाद बृजवासी दुखी हो जाते हैं ,उनके वियोग में सभी गोपियां व्याकुल हो जाती हैं, तो कृष्ण बृजमंडल की गोपियों को समझाने के लिए उद्धव को भेजते हैं किंतु प्रेम की वशीभूत गोपियां उद्धव से कहती हैं “ऊधौ मन न भये दस बीस, एक हतो सौ गयो श्याम संग को आराधे ईश”। इससे पूर्व महाराज श्री ने श्रीमद भागवत कथा के सभी प्रसंगों की सूक्ष्म चर्चा करते हुए कहा कि एक सप्ताह के सात दिन ही हम सबको भी मिले है,इन्हीं सात दिनों में तक्षक रुपी काल हम सबको डस लेगा इसलिए हमें अपना जन्म सुधारने के लिए प्रभु भक्ति के साथ साथ सदैव ऐसा प्रयास करते रहना चाहिये कि हमसे कोई ऐसा अनर्थ न हो जिससे किसी को कष्ट पहुंचे।
उन्होंने सुंदर भजन सुनाया” अरे द्वार पालो कन्हैया से कह दो कि दर पै सुदामा गरीब आ गया है।” जिसे सुन श्रोता खूब झूमे।
प्रारंभ में यज्ञाचार्य रामलखन उपाध्याय ने व्यास पीठ पूजन कराया तदुपरांत मुख्य यजमान श्रीमती शारदा श्यामदास गंधी ने महाराजश्री का माल्यार्पण कर श्रीमद भागवत पुराण की आरती उतारी।अंत में व्यवस्थापक परमानंद दास ने सभी का आभार व्यक्त किया।