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घाटी की राजनीति- क्या विपक्ष का सॉफ्ट हिंदुत्व बीजेपी पर भारी पड़ने लगा था?

नई दिल्ली 20 जून जम्मू कश्मीर में पीडीपी और बीजेपी की गठबंधन सरकार गिरने के बाद राजनीति का वो चेहरा सामने आने लगा है , जिसको लेकर राजनीतिक गलियारे में दबी जुबान से चर्चा हो रही थी ।कश्मीर में बीजेपी का पीडीपी के साथ रहने के दौरान सॉफ्ट  हिंदुत्व  में  रहना मजबूरी सा बन गया था । अपने कठोर हिंदुत्व की छवि को कहीं ना कहीं डैमेज करती  जा रही थी। इस बात का आम चुनाव के आने के पहले बखूबी आभास  करते हुए भाजपा ने आखिरकार तुष्टीकरण का वो चोला उतार फेका,  जिसके चलते  वो कठोर हिंदुत्व के  अपने मूल एजेंडे से  भटक रही थी!

2019 के आम चुनाव से पहले विपक्ष के महागठबंधन की तैयारियां भी बहुत जोरों से चल रही हैं । उपचुनाव में जिस प्रकार से गठबंधन की धार से भाजपा के प्रचार धराशाही हो रहा  है,  उसने पार्टी के अंदर सवाल खड़े कर दिए थे कि आखिर कब तक सॉफ्ट हिंदुत्व की छवि को लादकर राजनीतिक नुकसान झेला जाए।

जम्मू कश्मीर में चुनाव के बाद राजनीतिक परिस्थितियों को अपने अनुकूल ना होते हुए भी भाजपा ने पीडीपी के साथ गठबंधन की सरकार बनाई थी । तब  शायद मोदी के सबका विकास सबका साथ का नारा राजनीतिक मजबूरियों को छुपा देता था । अब भाजपा को इस बात का आभास होने लगा है कि 19 के चुनाव में विकास के मंत्र पर प्रचंड बहुमत की आस करना शायद बेमानी होगी इसलिए तुष्टिकरण की परिधि से बाहर निकलकर ठोस हिंदुतब  के चेहरे के साथ भाजपा आम चुनाव के प्रचार की तैयारी में जुट गई है।

जानकार मानते हैं कि आने वाले कुछ दिनों में अब भाजपा उनके मंत्री सांसद विधायक से लेकर अन्य संगठनों के लोगों के स्वर हिंदुत्व को लेकर कुछ अधिक ही कठोर नजर आ सकते हैं । इसके अलावा  कश्मीर से बाहर निकलने के बाद भाजपा आतंकियों के खिलाफ सेना की कार्रवाई को लेकर विपक्ष के सवालों को भी धार दार तरीके से काटा जा सकेगा।

2019 के चुनाव की दस्तक पार्टी को अपने दरवाजे पर सुनाई देने लगी तो उसने इस गठबंधन को हवन कुंड में डालकर कश्मीरियों और अल्पसंख्यकों के प्रति अपनी नरमी की मजबूरी से मुक्ति पा ली. अब भाजपा खुलकर खेलने के लिए तैयार है. भाजपा की भाषा आने वाले दिनों में बदली हुई सुनाई दे सकती है.

दूसरा बड़ा लाभ यह है कि लगातार सीमा पार से गोलीबारी और कश्मीर में बिगड़ते हालात के लिए घेरी जा रही सरकार अब राज्यपाल शासन के बहाने सेना, अर्धसैनिक बलों और विशेषाधिकार कानूनों का मनमाने ढंग से इस्तेमाल कर सकेगी.

इससे कश्मीर की स्थिति और बिगड़ेगी. लेकिन उस स्थिति को संभालने के लिए संभावित अतिरिक्त बल प्रयोग सरकार के सख्त और कड़े कदम के तौर पर देशभर में देखा और प्रचारित किया जाएगा. हालांकि यह कश्मीर और भारत के बीच की परिस्थितियों के लिए बुरी खबर है लेकिन इसका बड़ा लाभ भाजपा को देश के अन्य राज्यों में मिलता नज़र आएगा.

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