झांसीः विमुक्त एवं घुमन्तु जनजाति विकास परिषद उप्र ने केन्द्रीय मंत्री उमा भारती को दिये ज्ञापन मे प्रदेश मे घुमन्तु जाति के प्रमाण पत्र के लिये जारी शासनादेश मंे संशोधन किये जाने की मांग की गयी। ज्ञापन मंे कहा गया कि 12 मई 1961 व 26.3.1962 विमुक्त जातियांे के कल्याणर्थ विशेष सुविधा दिये जाने हेतुु जाति प्रमाण पत्र दिया जाना प्रावधिक है। इसके लिये इस सन मंे शासनदेश जारी हुआ।
इसके बाद समय-समय पर सर्वेक्षण उपरान्त तमाम चिन्हित जातियांे की क्षेत्रीयता के प्रतिबंध को समाप्त कर सम्पूर्ण प्रदेश स्तर पर, जहां पर वह निवासरत हैं, उन्हे विमुक्त जाति के प्रमाण पत्र जारी होते रहे हैं। इसमंे मुख्यतः लोध, केवट, जाट, भार, राजभर, मल्लाह आदि जातियां हैं। परन्तु शासनादेश 10 जून 2013 मंे सलग्न जातियांे की सूची जो पहले की रही है, उसमंे क्षेत्रीयता का प्रतिबंध दिखाया गया था उसी को नत्थी कर समस्त जनपदांे मंे भेजी गयी,जिसमंे सक्षम अधिकारी द्वारा इन जातियांे को जाति प्रमाण पत्र नहीं दिया जा रहा है। इतना ही नहीं उक्त शासनादेश मंे उल्लेखित क्रम संख्या 3 व 4 पर वर्णित कपितय बिन्दु, जिनमंे विमुक्त जाति को अनुसूचित जनजाति के आरक्षण को समाप्त कर दिया गया है, जो इस समुदाय के लिये पूरी तरह अहितकारी व न्याय विरूद्व है।
ज्ञापन मे शासनादेश मे संशोधन किये जाने की मांग की गयी। इस अवसर पर प्रान्तीय अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण सिंह लोधी, कैलाश नाथ निषाद प्रान्तीय उपाध्यक्ष, डा. पंचम राजभर, राज कुुमार पूर्व विधायक, डा. डी आर वर्मा प्रान्तीय सलाहकार, उदय राजपूत प्रान्तीय महासचिव, सीमा गौतम राजपूत आदि मौजूद रहे। वहीं, केन्द्रीय मंत्री उमा भारती ने अपने संबोधन मंे कहा कि वो घुमन्त जाति की समस्याआंे के समाधान की दिशा में काम कर रही है।