नई दिल्ली 15 मार्चः क्या किसी को विश्वास था कि अखिलेश यादव और मायावती राजनैतिक दोस्त बन सकेगे। करीब 25 साल पहले दोस्ती का जो रूप दुश्मनी मे बदला था, उसे फिर से उसी रूप मे लाने के लिये एक ऐसे शख्स ने पहल की, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी।
सपा और बसपा के बीच बने राजनैतिक दोस्ताना संबंध ने बीजेपी को उप चुनाव मे करारी हार ही नहीं दी, बल्कि यह भी संकेत दिये कि दोनो अपना राजनैतिक वजूद बचाये रखने के लिये लंबे समय तक एक दूसरे का साथ निभा सकते हैं।
सपा-बसपा के बीच वैचारिक मतभेद होने के बाद भी आखिर ऐसा क्या था कि मायावती खुद सपा से समझौते का ऐलान करने को तैयार हो गयी। इसकी पूरी जानकारी देते हैं।
दरअसल, सपा मे कोषाध्यक्ष पद संभाल रहे संजय सेठ पिछले काफी समय से इस प्रया समंे थे कि किसी तरह अखिलेश यादव को बसपा मुखिया का साथ लेने के लिये तैयार किया जाए। इसके बाद वो मायावती को समझाएं। जब संजय सेठ को अखिलेश की ओर से हरी झंडी मिली, तो संजय ने आनन-फानन मे मायावती का दरवाजा खटखटा दिया।
संजय सेठ के मायावती से काफी अच्छे रिश्ते हैं। पेशे से बिल्डर संजय ने मायावती और अखिलेश यादव के बंगले बनाये हैं। सो, संजय को दोनो के बीच सेतु बनने मे देर नहीं लगी।
बुधवार को जब गोरखपुर और फूलपुर के चुनावी नतीजों का ऐलान हुआ तो शाम को बसपा सुप्रीमो मायावती ने अखिलेश यादव के लिए मर्सडीज गाड़ी भिजवाई और सपा अध्यक्ष खुद उनसे मिलने मायावती के घर पहुंचे। दोनों के बीच करीब 40 मिनट तक बातचीत हुई। इस मुलाकात को कराने में जिस शख्स ने सबसे बड़ी भूमिका निभाई, उसका नाम है संजय सेठ। मायावती और अखिलेश की मुलाकात के दौरान संजय सेठ भी मौजूद थे।
संजय सेठ सपा में कोषाध्यक्ष पद पर जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। संजय राज्यसभा के सांसद भी हैं। सपा के पूर्व अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के करीबी नेताओं में शुमार संजय सेठ पेशे से बिल्डर हैं। मुलायम सिंह यादव के बेटे प्रतीक यादव के साथ वो शालीमार कॉर्प नामक रियल स्टेट कंपनी में पार्टनर हैं। लखनऊ में बसपा सुप्रीमो मायावती, इटावा में मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव का बंगला इन्होंने ही बनवाया है।
मुलायम सिंह यादव और अखिलेश के अलावा संजय सेठ के मायावती से भी अच्छे संबंध हैं। बुधवार को जब सपा-बसपा की जोड़ी ने कमाल दिखाया तो संजय सेठ ने ही अखिलेश यादव और मायावती की मुलाकात की आधारशिला रखी। अखिलेश यादव जब सरकारी आवास ’13 ए माल एवेन्यू’ पहुंचे तो खुद मायावती ने गुलदस्ता देकर सपा अध्यक्ष का स्वागत किया। सियासी जानकारों की मानें तो अखिलेश-मायावती की यह मुलाकात अगले लोकसभा चुनाव के लिए काफी अहम साबित होगी।