जीवन में निष्काम सतकर्मों की आदत बनायें:संदीप कृष्ण रिपोर्ट: अनिल मौर्य

जीवन में निष्काम सतकर्मों की आदत बनायें:संदीप कृष्ण

झाँसी। पुरानी तहसील स्थित सांई मंगलम में ओमहरे परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद भागवत कथा के छठवें दिवस श्रीधाम वृंदावन से पधारे कथा व्यास संदीप कृष्ण महाराज ने कहा कि परमात्मा को सरल स्वभाव के लोग पसंद हैं। मानस में गोस्वामी जी लिखते हैं “निर्मल मन मोहि सोई जन पावा, मोहि कपट छल छिद्र न भावा।” यदि हम परमात्मा के चरणों में आनुराग करते हैं तो निश्चित तौर पर ईश्वर हमारे जीवन में आने वाली बाधाओं को स्वयं दूर कर देते हैं। अतः हमें सदैव अपनी क्षमतानुसार ठाकुर की सेवा करते हुए यथाशक्ति सतकर्मों में समर्पण की आदत बनानी चाहिये।
भगवान श्रीकृष्ण के महारास की कथा का पावन प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने कहा कि गोपी कोई स्त्री अथवा पुरुष नहीं हैं वह तो पूर्व जन्म के संत महापुरुष ही हैं इस जन्म में गोपी बनकर आये हैं। भगवान के महारास में त्रिकालदर्शी भगवान शंकर माता पार्वती के साथ गोपी बनकर आये हैं। शिव और जीव में भेद बताते उन्होंने कहा कि जिसमें समर्पण का भाव हो वह शिव और जिसमें अहंकार आ जाये वह जीव है।
कथा व्यास ने सुंदर गोपी गीत गाये जिन्हें सुन श्रोता झूम उठे।
कहने का भाव यह है कि समें परमात्मा को पाने के लिए रुप भी बदलना पडे तो बदल लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रेम में संयोग और वियोग दोनों की बडी भूमिका है। जीवन में जब काम, क्रोध, लोभ और मोह आ जाये तो पास में बैठा परमात्मा भी छोडकर दूर चला जाता है। इससे पूर्व उन्होंने कृष्ण का मथुरा गमन कंस वध, गोपी उद्धव प्रसंग सुनाते हुए कहा कि जो अक्रूर है अर्थात क्रूर नहीं है वहीं प्रभु को अपने साथ ले जा सकता है। भगवान कृष्ण और रुक्मणि के विवाह का पावन प्रसंग सुनाते हुए कहा कि समाज को दुख पहुंचाने वाले की मौत पर लोग दुख नहीं प्रसन्नता व्यक्त करते हैं।
प्रारंभ में यजमान परिवार से माताजी राममूर्ति देवी, रमेशचंद्र राजकुमारी, महेशचंद्र राधारानी, सुरेशचंद्र भारती, कृष्णबिहारी सुनीता एवं विनीता विनयकुमार एवं अभिषेक ओमहरे ने कथा व्यास का माल्यार्पण कर श्रीमद भागवत पुराण का पूजन कर आरती उतारी।संचालन आचार्य अरबिंद दुबे ने किया।
इस मौके पर योगाचार्य शोभाराम सोनी, दशरथ गुप्ता,अनूप सिंह चौहान, ओम प्रकाश सोनी, रेखा गुप्ता अंशिका, मयंक माहेश्वरी सूरत, भगवती शिवहरे,संस्कार नारायणदास यादव, मानसिंह यादव ,रामप्रकाश शिवहरे, रामबाबू शिवहरे, चिम्मन शिवहरे, जगमोहन महाजन, रामकेश विजय, रामबाबू शर्मा, रघुनाथ प्रसाद शर्मा, राजेंद्र प्रसाद आदि मौजूद रहे।अंत में कृष्णबिहारी ओमहरे ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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