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जो लक्ष्मी की नहीं हो सकी, वो गंगा की क्या होगी

नई दिल्ली 1 सितम्बरः केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती को लेकर आज भी उहापोह की स्थिति बनी हुयी है। उन्होने इस्तीफा की पेशकश कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सामने अपना तुरूप का इक्का फेका है, लेकिन मोदी भी जानते है कि उमा भारती जब अपने संसदीय क्षेत्र मे कुछ नहीं कर पायी, तो वह पूरे देश मे क्या करेगी? उन्हे केवल एक काम गंगा सफाई अभियान का दिया गया था। इस काम मे भी वो खरी नहीं उतरी। इस पर उमा भारती के संसदीय क्षेत्र मे लोग कह रहे हैं कि जो सांसद अपने क्षेत्र मे छोटे से तालाब यानि लक्ष्मीतालाब को साफ नहीं कर सकी, वो इतनी विशाल गंगा नदी को कैसे साफ कर सकती।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सरकार के गठन के बाद ही यह संकेत दिये थे कि उनके मंत्रिमंडल मे केवल सक्रिय सदस्य ही लंबी पारी खेल सकंेगे। इस बात को लेकर वह अपने मंत्रियों को बार-बार आगाह भी करते रहे। कल यानि रविवार को होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार से पहले आज जिन मंत्रियों ने इस्तीफे की पेशकश की या दे दिये, उनके बारे मे मोदी की राय अच्छी नहीं है।

मीडिया में चल रही खबर की माने तो उमा भारती को लेकर मोदी ने दो विकल्प सोचे हैं। उन्हे किसी राज्य का राज्यपाल बना दिया जाए या फिर उन्हे भेज दिया जाए। अपने संसदीय क्षेत्र मे लगातार कोप का भाजन बन रही उमा भारती को लेकर कुछ संगठन ने तंज भी कसा है। उन्होने कहा कि जिस स्थान पर उमा भारती रह रही है, उससे दस कदम कीदूरी पर ऐतिहासिक लक्ष्मीतालाब है। इस तालाब पर पिछले कई साल मे आठ करोड़ से ज्यादा खर्च हो गये। सासंद बनने के बाद उमा भारती ने क्षेत्र के ऐतिहासिक स्थल को सुंदरबनाकर उन्हे पर्यटन से जोड़ने का ऐलान किया था, लेकिन उमा खुद ही संसदीय क्षेत्र मे नहीं आ सकी। ऐसे मे उमा के इस्तीफे के बाद उनके संसदीय क्षेत्र मे लोग मोदी के इस निणर्य का स्वागत करने को तैयार है, जिसमंे वो उमा भारती को सरकार से बाहर करते हैं।

अब बुन्देली लोगों की निगाह मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार मे उमा भारती पर टिकी है, जो तीन साल मे संसदीय क्षेत्र के तालाब और पोखर को सुरक्षित रखने की योजना तैयार नहीं कर सकी। ऐसे मे यदि उमा को मंत्रिमंडल मे जगह नहीं मिलती है, तो यह माना जाएगा कि उमा जब लक्ष्मी की नहीं हो सकी, तो वाकई गंगा की कैसे होती?

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