झाँसी। बुंदेली माटी में ऐतिहासिक धरोहर इतनी है कि उन्हें सहेजा जाए, तो विश्व के सभी देशी9 के पर्यटक इन्हें निहारने को लालायित हो जाएं। झांसी की एक धरोहर जिसे झांसी की ऐसी पहचान कहा जाता है, वो अपने आप में दुनिया के किसी अजूबे से कम नहीं है।
जी हां हम बात कर रहे हैं झांसी की पानी वाली धर्मशाला की शहर के बीचोंबीच स्थित पानी वाली धर्मशाला का अब तक कोई वास्तविक स्वरूप नहीं देख सका है । इतिहास में दर्ज तथ्यों और बुजुर्गों से प्राप्त जानकारी में यह बात सामने आती है कि पानी वाली धर्मशाला की तलहटी में कई खंड है कई बरामदे हैं, जिनमें पुराने समय में यानी चंदेल कालीन दौर में बाहरी लोगों को रुकने की व्यवस्था थी।
हालांकि पानी वाली धर्मशाला को उसके मूल रूप में देखने के लिए कई बार कोशिशें भी की गई धर्मशाला में पानी की निकासी को लेकर की गई पहल के दौरान जो तस्वीर सामने आई उसने लोगों को हैरानी में जरूर डाला बीते सालों में कई बात हुई सफाई के दौरान इस बात के प्रमाण भी मिले थे कि यह धर्मशाला चंदेल कालीन दौर में निर्मित हुई होगी।
पानी वाली धर्मशाला की गहराई कितनी है और उसके नीचे की बनावट कैसी है इसे देखने का कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया । जितनी बार भी इसकी सफाई के प्रयास हुए वह आधे अधूरे हुए। इन प्रयासों के दौरान जो चित्र सामने आए उनमें एक चित्र मार्केट संवाद आपको दिखा रहा है।
हालाकि यह चित्र पिछली सफाई के दौरान की और गहराई को प्रदर्शित नहीं करता है , जबकि उस हुई सफाई में इससे भी नीचे का हिस्सा लोगों को देखने को मिला था , जिसमें बरामदे नजर आ रहे थे।
पानी वाली धर्मशाला के बारे में कहा जाता है कि यहां रामलीला मंचन के दौरान केवट संवाद का कई बार चित्रण किया गया इसे हमारी युवा पीढ़ी देख भी चुकी है लेकिन इस धर्मशाला की उपेक्षा होने से यह धीरे-धीरे अपने मूल रूप को खोती गई और आज यह केवल जलकुंभी से घिरी नजर आती है
आपको बता दें कि इस पानी वाली धर्मशाला के इर्द-गिर्द जो मंदिर है वह बहुत ही अनूठे हैं । इनमें मां अन्नपूर्णा, हजारी महादेव, गणेश जी हनुमान जी और अन्य देवी-देवताओं के मंदिर शामिल है ।यह सभी मंदिर आने वाली धर्मशाला की चहारदीवारी के इर्द-गिर्द बने हुए हैं ।
इससे अंदाजा लगाया जाता है कि जिस समय धर्मशाला का निर्माण किया गया होगा यहां आने वाले लोग किस भक्ति भाव से मंदिरों की पूजा अर्चना किया करते होंगे।
कहा जाता है कि पुराने समय में जब झांसी में बारिश नहीं होती थी उस दौरान हजारी महादेव का मंदिर लोग पानी वाली धर्मशाला के पानी से भरते थे । यह मंदिर पूरा नहीं भर पाता था कि आसमान से पानी बरसना शुरू हो जाता था । यह किदवंती नहीं हकीकत है।
यहां सवाल यह उठता है कि झांसी जैसे शहर को स्मार्ट सिटी में शामिल किया गया, तो यहां के ऐतिहासिक धरोहरों को क्यों प्रशासन और शासन इस लायक नहीं बनाने की सोच रहा जिससे पर्यटकों का झांसी में आगमन और बढ़ सके ।
महापौर रामतीर्थ सिंघल ने लक्ष्मीबाई तालाब में रानी झांसी की मूर्ति लगाने का ड्रीम प्रोजेक्ट तैयार किया है । यदि उस ड्रीम प्रोजेक्ट की तरह झांसी के अन्य जनप्रतिनिधि पानी वाली धर्मशाला, अंतिया ताल और नगर के दरवाजों को उनकी मूल रूप में वापस लाने का प्रयास करें , तो यकीनन झाँसी पर्यटकों के संख्या बल में घिरी नजर आएगी इससे यहां के लोगों को न केवल रोजगार मिलेगा बल्कि झांसी का नाम पूरे विश्व में और रोशन हो सकेगा।