झाँसी प्रजापिता बह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय सत्यम कालोनी में स्थित आश्रम का 18 वा बार्षिक महोत्सव मनाया गया इस अवसर पर आश्रम संचालिका बीके प्रतिभा बहन ने कहा कि जीवन का अंतज्ञान प्राप्त करना मनुष्य का लक्ष्य है जीवन को जानने वाली जिज्ञासा से ही वास्तविक धर्म का जन्म होता है धर्म का प्रारम्भ किसी पुस्तक से नही वल्कि जीवन से है जीवन से ही धर्म का शुभारंभ होना चाहिए
धर्म के मार्ग से गुजरने के बाद हमारे अनुभव, हमारे परिणाम जो संपादित हो, वे ही जीवन के अनुभव और जीवन की किताब बन जाए मनुष्य मन और बुद्धि से जीता हैं मन व बुद्धि से जीने वाले के लिए ह्रदय विभाव दशा हैं और हमारे लिए स्वभाव दशा हैं यदि ह्रदयके द्वार नही खुलेगे तो जीवन
अंधकारमय होगा फिर चाहे मन कितना ही मौन क्यो न हो या बुद्धि अपनी पूरी गहराई पर हो, ह्रदय मे उतरे बिना जीवन में सरलता नही आएगी। ह्रदय में रहकर हर क्षण आन्नद में रह सकते हैं ह्रदय की अॉखोसे केवल इंसान में प्रभु की मुरत ही नही दिखलाई देती वल्कि पूरी प्रकृति दिखलाई देती हैं
हर व्यक्ति को यही ह्र्दय के द्वार खोलना सीखना है ह्रदय के द्वार खुल जाना ही आन्नदमय जीवन जीने का आधार हैं बीके सरोज बहन में कहा कि हमारा मन जितना सकारात्मक एंव अहिंसक विचारोसे पूर्ण होगा उतना ही वातावरण शक्तिशाली होगा एक शक्तिशाली मन हर परिस्थिति का सामना कर सकता है इसके लिए हमें स्वयं पर विश्वास होना चाहिए क्योंकि हम अपने बारे मे बेहतर जानते हैं
इस अवसर पर अनेक बीके भाई बहन उपस्थित रहें