झांसी: किसी दल को अपने नेता की लहर, तो किसी को अपनी पार्टी की नीतियो की। किसी को अपने वजूद पर भरोसा। यानि निकाय चुनाव के लिए चुनावी तैयारियो मे जुटे भावी प्रत्याशी अपनी रणनीति को अंतिम रूप देते हुये जनता के बीच जाने को बेताव हैं। कुछ जा भी रहे हैं।
कांटे के मुकाबला माने जाने वाले निकाय चुनाव जितने राजनैतिक दलो के लिए मायने रखते हैं, उतने ही चुनाव मे परीक्षा देने को बेताव भावी प्रत्याशी । झांसी चुनाव मे अभी किसी दल ने प्रत्याशी की तस्वीर साफ नहीं की है, दलो के सामने अपने को प्रस्तुत कर रहे भावी प्रत्याषी किसी प्रकार की कसर नहीं छोड़ रहे। भाजपा, कांग्रेस, सपा मे दावेदारो की संख्या अपेक्षा से कहीं ज्यादा है।
झांसी मेयर सीट के लिए सपा से करीब एक दर्जन लोग दावेदारी ठोकने को तैयार हैं। यही हाल भाजपा का है। यहां दावेदार सैकड़ांे की संख्या मे हैं। टिकट की दावेदारी के लिए कुछ लोगो ने जुगाड़ और आवेदन तो कर ही दिया है। कांग्रेस भले ही कमजोर कही जाए, लेकिन टिकट की दावेदारी मे एक दर्जन लोगो के नाम सामने आ रहे हैं। अभी बात इसकी नहीं है कि दावेदारी किसकी होगी। अभी तो भावी प्रत्याशी की सूची मे शमिल नेताओ के चुनावी अंदाज देखने की है। हर भावी प्रत्याषी अपनी रणनीति को पुख्ता बनाने और मैदान मे कूदने के लिए तैयारी मे जुटा है।
चाहे वह सामाजिक सम्मेलन के जरिए अपना दम दिखा रहा हो या फिर बड़े नेताओ के सहारे मैदान मारने की फिराक। इन भावी प्रत्याषियो ने जनता के बीच जाने की पूरी तैयारी कर ली है। किस गली मे कैसे जाना है, यह तय हो गया है। कोई अभी से गली-गली घूमने लगा है, तो कोई लोगो से सीधे मुलाकात करने मे व्यस्त है। अपनी उपलब्धियो के साथ क्या-क्या करेगे, इसका भी खाका तैयार कर लिया गया है। बस टिकट फाइनल हुआ नहीं, कि डगर-डगर चलने का काम षुरू हो जाएगा। अभी समर्थको की टोली तैयार करने का काम चल रहा है।
चुनाव मे एक साल के अंतराल को देखते हुये प्रत्याशी डगर-डगर चलने मे पड़ाव के रूप मे समारोह, सम्मान, बैठके और कार्यकर्ता जैसे गढ़ांे को मजबूत कर रहे हैं। जल्द ही गलियो मे घूमते नजर आने वाले प्रत्याषी एक दूसरे की लहर को न केवल नकारेंगे, बल्कि कहेगे कि हमसे बेहतर कौन?