झाँसी। कलम कला और कृपाल की धरती झांसी ऐतिहासिक धरोहरों को सजे हुए है ।दुर्भाग्य है कि इन लोगों को जमीन रोड होते हुए आज हमारा प्रशासन और जनप्रतिनिधि आंख मूंदकर देख रहे हैं ।
आपको बता दें कि रानी झांसी की नगरी में तमाम गेट खिड़कियां और परकोटे बने हुए हैं । रानी झांसी की इन यादों को ऐतिहासिक स्थलों के रूप में देखा जाता है ।
पिछले कई सालों में इन धरोहरों के प्रति जनप्रतिनिधियों और प्रशासन की उपेक्षा इतनी भारी पड़ेगी आज इनमें से अधिकांश जमींदोज हो गए हैं। जो बचे हुए हैं उनके प्रति भी प्रशासन का रवैया उदासीन है ताजा उदाहरण सागर गेट का ही ले लें इस गेट की हालत इतनी जर्जर हो चुकी है कि यह कभी भी गिर सकता है सागर गेट में विशाल हनुमान जी का मंदिर भी है ।
इस गेट की दीवारें इतनी जर्जर हालत में है कि उनके पत्थर साफ नजर आ रहे हैं इसके बाद भी प्रशासन का रवैया धूल भरा है।
ताज्जुब तो इस बात का है कि पिछले कई सालों में सपा-बसपा कांग्रेस और भाजपा की सरकार है प्रदेश में आसीन हुई सभी में बुंदेलखंड में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए तमाम योजना भी बनाई लेकिन स्थानीय स्तर पर ऐतिहासिक घरों को सजाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया ।
बीते दिनों ही बारिश से कई परकोटे की दीवारें गिर गई हैं यहां गौर करने वाली बात यह है कि बारिश के कारण गिरे मकानों दीवारों को लेकर आज तक प्रशासन में कोई पहल करने की नहीं सोची है यहां सवाल उठ रहा है कि क्या सागर गेट भी जमींदोज होने के बाद प्रशासन की नजर में आएगा?