झाँसी। लोकसभा चुनाव 2019 के लिए झांसी ललितपुर संसदीय सीट को लेकर कांग्रेसमें दावेदारी कर रहे नेता आज जन अधिकार पार्टी के साथ गठबंधन की खबर के बाद सकते में आ गए ।
पार्टी के इस निर्णय को लेकर कांग्रेसियों में घोर निराशा है। वह समझ नहीं पा रहे कि आखिर गठबंधन में झांसी की सीट क्यों दी गई?
पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की ओर से प्रत्याशी रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य कि भले ही जमानत जप्त हो गई हो, लेकिन मोदी लहर में भी उन्होंने 50,000 से ज्यादा वोट हासिल किए थे। पिछले 5 सालों में झांसी ललितपुर लोकसभा सीट पर वापसी के लिए जिस तरह से कांग्रेसी नेता जद्दोजहद कर रहे थे, उसके बाद यह सीट गठबंधन में चले जाने को लेकर सभी कांग्रेसी लगभग हताश से हो गए हैं.
टिकट के दावेदारों में शुमार 1 नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि वह इस कदर निराश हैं कि मन कर रहा पार्टी छोड़ दें। नेता का कहना है कि लंबे समय से बुंदेलखंड में कांग्रेस को सक्रिय बनाए रखने के लिए मेहनत कर रहे हैं।। इसके बाद यदि पार्टी इस तरह का निर्णय लेती है , तो दुखदाई है ।
कांग्रेस के गठबंधन में झांसी सीट जन अधिकार पार्टी के पास जाने को लेकर कांग्रेसी कार्यकर्ता भी उत्साहित महसूस नहीं कर रहे हैं । एक कार्यकर्ता ने बताया कि व इस बार कांग्रेश को उत्तर प्रदेश में बड़े दल के रूप में देखने के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं।।
उन्हें अपने घर की सीट इतनी कमजोर नहीं लग रही कि इसे गठबंधन में दिया जाता। उन्होंने कहा कि यह तो वही बात हो गई जब दुकान चलने की नौबत आई तब हाट उठा दी। कार्यकर्ताओं का कहना है कि वह इस मामले में पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया से अपनी भावनाओं को अवगत कराएंगे।
कांग्रेस के जन अधिकार पार्टी के साथ हुए गठबंधन में जिन 5 सीटों को दिए जाने की बात कही जा रही है उसमें झांसी की सीट भी शामिल है । सवाल यहां यह खड़ा हो रहा है कि यदि कांग्रेश के लोग पार्टी के जनाधार को कमजोर नहीं मान रहे हैं और इसके बाद यदि गठबंधन में इस सीट को दिया गया है, तो क्या कांग्रेसी पार्टी के लिए काम करेंगे?, क्या कई कांग्रेसी पाला बदल सकते हैं?